छत्तीसगढ़

सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरे थे ओपी चौधरी…..

रायपुरः जिले की रायगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के सिटिंग एमएलए प्रकाश नायक को 64 हजार 443 वोटों से हराया है। इतना ही नहीं पूरे प्रदेश में भी दूसरे नंबर की लीड लेकर चुनाव जीतने वाले विधायक बने हैं। आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर उन्होंने 2018 में खरसिया से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। पर उन्हें कांग्रेस के उमेश पटेल ने चुनाव हरा दिया था। चुनाव में हार के बाद भी वे लगातार सक्रिय रहें। जिसके चलते उन्हें प्रदेश भाजपा महामंत्री बना दिया गया था। अब रायगढ़ विधानसभा से उन्होंने चुनाव लड़ा और चुनाव जीते। वे पूरे रायगढ़ जिले में जीते इकलौते भाजपा विधायक है। ओपी को अमित शाह ने प्रचार के दौरान बड़ा आदमी बनाने की बात कही थी। जिसके चलते उन्हें बड़ा पोर्ट फोलिया देने की भी चर्चा है

ओपी चौधरी पूर्व आईएएस रह चुके हैं। ओपी चौधरी जन्म 2 जून 1981 को हुआ। वे रायगढ़ जिले की खरसिया ब्लॉक के ग्राम बायंग के रहने वाले है। इनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। जब ओमप्रकाश चौधरी मात्र 8 साल के थे तब उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। पिता की मौत के बाद उनकी माता कौशल्या ने पेंशन की आय से उनको पाला। ओपी चौधरी ने पांचवीं तक की शिक्षा अपने गांव बायंग के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। फिर आठवी तक की शिक्षा जैमुरी से की। बारहवीं तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने के बाद उन्होंने पीईटी क्लियर की पर वह इंजीनियर ना बन कर आईएएस ही बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने भिलाई से बीएससी किया।

फर्स्ट ट्राय में ही पास किया यूपीएससीओपी चौधरी ने यूपीएससी की तैयारी कर अपने पहले ही प्रयास में एग्जाम क्रैक कर लिया। वह मात्र 23 वर्ष की उम्र में ही आईएएस अफसर बन गए थे। ओपी चौधरी 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अफसर थे। पहली पोस्टिंग सहायक कलेक्टर के तौर पर 2006 में कोरबा में हुई। इसके बाद 2007 में उन्हें रायपुर में एसडीएम बनाया गया। 2007 में उन्हें जांजगीर जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया।

वे राजधानी रायपुर के नगर निगम कमिश्नर भी रहे। साल 2011 में उन्हें दंतेवाड़ा में कलेक्टर के तौर पर पदस्थ किया गया। रायपुर कलेक्टर भी ओपी चौधरी रहे।एजुकेशन के लिए भी काम कियादंतेवाड़ा कलेक्टर के पद पर रहते हुए इन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने का काम किया था। साथ ही इंजीनियरिंग तथा मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग की सुविधा के साथ रेसीडेंसियल स्कूल की शुरुआत की। चौधरी ने जावंगा को 2011 में शिक्षा के एक बड़े सेंटर के रूप में डेवलप किया। चौधरी ने जिले में लाइवलीहुड कॉलेज की भी शुरुआत की। जिसे बाद में पूरे राज्य में लागू किया गया। 2011-12 में बेहतर काम के लिए उन्हें तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने एक्सीलेंस अवार्ड से भी नवाजा।

मोदी भी करते है पसंद, शाह ने बड़ा पद देने का किया था वादाभले ही ओपी चौधरी अपना पहला चुनाव हार गए हो लेकिन इसके बाद भी वह शांत नहीं बैठे। हारने के बाद वे बीजेपी की एक्टिव राजनीति का हिस्सा बने। पार्टी ने भी उनपर ध्यान दिया और बीजेपी का पदाधिकारी बना दिया। इसी दौरान उनकी आलाकमान से गहराइयां बढ़ती गई। प्रदेश में होने वाले पार्टी के बड़े कार्यक्रमों के दौरान ओपी अमित शाह के नजर आते थे। इसी तरह मनमोहन से अवार्ड पाने वाले ओपी को मोदी भी पसंद करने लगे। अब प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनते ही मंत्री बना दिया गया है।

सरकारी नौकरी छोड़कर उतरे राजनीति मेंडॉक्टर अदिति पटेल से उनका विवाह हुआ है। 13 साल की सर्विस के बाद उन्होंने 2018 में आईएएस की सर्विस से इस्तीफा देकर भाजपा में प्रवेश कर लिया। उन्होंने भाजपा की टिकट से खरसिया से विधानसभा चुनाव लड़ा पर उमेश पटेल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। माना जाता है कि वे पूर्व सीएम रमन सिंह से काफी प्रभावित थे इसके चलते ही उन्होंने राजनीति में आने का मन बनाया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button