रीपा में हुए भ्रष्टाचार पर जमकर हंगामा, गृहमंत्री ने कहा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच कराने के साथ ही AG से कराया जायेगा ऑडिट
रायपुर । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कार्यकाल में बने रूरल इंडस्ट्रियल पार्क को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। विधायक धरमलाल कौशिक ने रीपा में हुए भ्रष्टाचार को लेकर गृहमंत्री विजय शर्मा से सवाल किये। धरमलाल कौशिक ने दंतेवाड़ा और जशपुर जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि करोड़ों रूपये के रीपा केंद्र की स्थापना में 50 से 80 लाख रूपये पोेजेक्ट रिपोर्ट बनाने में खर्च किया गया। धरमलाल कौशिक के इस सवाल के बाद विधायक अजय चंद्राकर ने रीपा के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किये जाने का गंभीर आरोप लगाया। विधायकों के इस सवाल पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने रीपा में हुए खर्च का AG से ऑडिट कराने के साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन महीने में जांच पूरा कराने की घोषणा किया गया।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासन काल में प्रदेश में 300 रीपा केंद्र खोले गये। ग्रामीणों के आर्थिक उत्थान के लिए खोले गये इन रीपा केंद्रो में डीएमएफ सहित अन्य विभागीय फंडो का इस्तेमाल कर करीब 600 करोड़ रूपये पूर्ववर्ती सरकार ने खर्च किये थे। इस मुद्दे पर आज सदन में जमकर हंगामा हुआ। विधायक धरमलाल कौशिक ने प्रदेश भर के रीपा में विभिन्न मदो के फंड से किये गये खरीदी की जानकारी मांगी थी। धरमलाल कौशिक के सवाल के साथ ही विधायक अजय चंद्राकर ने रीपा के नाम पर हुए करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया। उन्होने आरोप लगाया कि पूववर्ती सरकार ने 600 करोड़ खर्च कर रीपा केंद्र खोल, लेकिन इन केंद्रो से होने वाली कमाई कुछ भी नही है।
अजय चंद्राकर और धरमलाल कौशिक के सवाल पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि उन्होने खुद कई रीपा केंद्रो में जाकर स्थिति देखी है, कई जगहों मशीने भी नही है। गृहमंत्री ने रीपा केंद्र के नाम पर हुए खरीदी पर ऑडिट जनरल {AG} से सारी खरीदी का ऑडिट कराये जाने की बात कही। इसके साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश के 300 रीपा केंद्रो की जांच कराये जाने की भी बात कहते हुए 3 महीने में जांच पूरा कराने की घोषणा की। वहीं रीपा के मुद्दे पर विधायक धरमजीत सिंह ने भी सवाल उठाये। उन्होने आरोप लगाया कि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दौर को लेकर आनन-फानन में रीपा बनवाये गये। जिसके लिए गांव के सरपंचो पर दबाव बनाकर उनसे हस्ताक्क्षर कराकर रीपा के नाम पर करोड़ों रूपये की खरीदी की गयी। आज भी प्रदेश के कई रीपा केंद्रो में सरकार बदलने के बाद सामानों की खरीदी का भुगतान नही हो सका है। जिसका तगादा लगातार व्यापारी गांव के सरपंच से कर रहे है। ऐसी स्थिति में गांव के सरपंच काफी तनाव में है और कभी भी वे आत्महत्या कर सकते है।