जानिये कचरे से कैसे बनायीं जाति है सड़के, क्या है इसका फायदा
नई दिल्ली. सड़क परिवहन मंत्रालय कई हाईवे और एक्सप्रेसवे को बनाने में शहरों से निकलने वाले कचरे का इस्तेमाल कर रहा है. मौजूदा समय राजधानी में डीएनडी- मुंबई एक्सप्रेसवे और अर्बन एक्सटेंशन रोड 2 ( यूईआर 2) में भी कचरे का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह जानकारी स्वयं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी ने दी है. इससे पहले दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे निर्माण में कचरे का इस्तेमाल हो चुका है. अब आम लोगों के मन यह सवाल जरूर उठता होगा कि क्या कचरे का इस्तेमाल सड़क की निचली सतह में भराई के लिए करते हैं, या फिर सीधा बिटूमिन ( तारकोल) में मिलाकर इसका प्रयोग किया जाता है या फिर और कोई प्रोसेस होता है. आइए जानते हैं क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया?
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रधान वैज्ञानिक गगनदीप सिंह बताते हैं कि कचरे का सीधा इस्तेमाल सड़क निर्माण में नहीं किया जाता है और न ही इस तरह भराई की जा सकती है.अगर इस तरह इस्तेमाल किया जाएगा तो सड़क और कमजोर हो जाएगी. क्योंकि कचरे में प्लास्टिक के अलावा बहुत सारा बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल होता है, जिसके सड़ने से सड़क धंस जाएगी.
जानिये कचरे से कैसे बनायीं जाति है सड़के, क्या है इसका फायदा
इस तरह होता है इस्तेमाल
सबसे पहले कचरे को सेग्रीगेट करते हैं, यानी अलग-अलग छांटते हैं. इसमें प्लास्टिक, बायोडिग्रेडेबल और नॉन बायोडिग्रेडेबल को अलग-अलग करते हैं. सड़क निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जाता है. इसके बाद इसको प्रोसेस करते हैं.
ये होती है प्रक्रिया
प्लास्टिक कचरे को अलग करने के बाद इसे मशीन में डालकर क्रश किया जाता है, इनके 2 से 4 मिलीमीटर आकार के टुकड़े किए जाते हैं. इन प्लास्टिक टुकड़ों को सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाली गिट्टी में डालकर 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है. करीब एक घंटे की इस प्रक्रिया के बाद प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी के साथ उसी के आकार में चिपक जाते हैं. इस गिट्टी को गर्म बिटूमिन में मिलाया जाता है. इसे एक तापमान में सड़कों में बिछाने से पहले तक रखते हैं. वरना प्लास्टिक नीचे चला और बिटूमिन ऊपर रह जाएगा. इसके बाद सड़कों में बिछाया जाता है. प्लास्टिक बिटूमिन और तारकोल के बीच दोगुनी क्षमता के साथ पकड़ बनाए रखता है.
इस तरह की प्लास्टिक हो सकती है इस्तेमाल
सड़क निर्माण में कचरे से निकलने वाली जो प्लास्टिक इस्तेमाल में लाई जा सकती है उसमें पोलिथिन , प्लास्टिक कप और गिलास, पान मसाले के रैपर, बिस्किट, चॉकलेट के रैपर, दूध की थैली और किराने के सामानों की पैकिंग वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल और डिब्बों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
जानिये कचरे से कैसे बनायीं जाति है सड़के, क्या है इसका फायदा
सड़कों में प्लास्टिक यूज के ये हैं फायदे
बिटूमिन के साथ प्लास्टिक के इस्तेमाल से बनी सड़कों पर सर्दियों में पर दरार नहीं आती है. वहीं, गर्मियों में बिटूमिन पिघलता नहीं है. सामान्य सड़कों के मुकाबले प्लास्टिक इस्तेमाल कर बनाई जाने वाली सड़क अधिक मजबूत होती है और ज्यादा समय चलती है. जल भराव के प्रति रजिस्टेंस बढ़ता है. भार सहने की क्षमता अधिक रहती है. इस तरह की सड़क के रखरखाव में खर्च कम आता है.
नॉन बायोडिग्रेडेबल का भी इस्तेमाल
कचरे में प्लास्टिक के अलावा काफी मैटेरियल नॉन बायोडिग्रेडेबल होता है. सेग्रीगेशन के बाद इस तरह के मैटेरियल का उस जगह इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां पर भराई की अधिक जरूरत है. निचली सतह पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके बाद मिट्टी की भराई की जाती है. इस तरह मिट्टी की जरूरत कम पड़ती है.
दिल्ली में रोजाना आठ से 10 हजार टन कूड़ा
दिल्ली की तीनों बड़े लैंडफिल साइट गाजीपुर, ओखला और भलस्वां में प्रतिदिन आठ से 10 हज़ार मीट्रिक टन कूड़ा फेंका जाता है. प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कूड़े में 32 फीसदी खाद बनाने योग्य सामग्री होती है. अन्य रिसाइक्लिंग होने वाले वाला मैटेरियल होता है. इसमें कागज, प्लास्टिक, धातु व भवन निर्माण और डेमोलिशन का मैटेरियल होता है.
जानिये कचरे से कैसे बनायीं जाति है सड़के, क्या है इसका फायदा
सेग्रीगेशन के लिए लैंडफिल साइट में लगी मशीनें
राजधानी के तीनों लैंडफिल साइट ओखला, भलस्वां और गाजीपुर में कचरे के निस्तारण के लिए मशीनें लगाई जा चुकी हैं. यहीं पर कचरे को सेग्रीगेट कर करके जरूरत के अनुसार संबंधित एजेंसी या स्थान पर पहुंचाया जाता है.
सड़क निर्माण में इनका भी इस्तेमाल
केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार नेशनल हाइवे के निर्माण में प्लास्टिक का प्रमुख रूप से इस्तेमाल होता है. इसके अलावा लोहा, स्टील, निर्माण और डेमोलिशन कचरे का इस्तेमाल किया जाता है. मौजूदा समय जरूरत के अनुसार सड़क निर्माण में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है