गोदनामा नहीं हलफनामा देकर पिता के नाम में हुआ बदलाव
रायपुर: इन दिनों जशपुर जिला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है, चर्चा हो भी क्यो नहीं, चर्चा दो बातों को लेकर हो रही है पहला यह है कि छोटे से जिले के रहने वाले विष्णु देव साय रातों रात मुख्यमंत्री बन गए। वही दूसरा चर्चा का विषय जशपुर जिला शिक्षा अधिकारी को लेकर हो रही है, डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता बघेल ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण लगाकर जशपुर जिले के प्रभारी शिक्षा अधिकारी, डीएमसी नरेंद्र सिंहा की अनुकंपा नियुक्ति को लेकर जवाब मांगा है। विधानसभा में कोई पहली बार जशपुर शिक्षा विभाग का मामला नही उछला है। इससे पहले भी कई मामले विधानसभा में सुर्खिया बटोर चुका है।
हलफनामा से बदला गया पिता का नाम
जशपुर जिले में एक साथ कई विभागों का प्रभार लेकर बैठे अधिकारी नरेंद्र कुमार सिन्हा के अनुम्पा नियुक्ति को लेकर कई तरह के सवाल उठाये जा रहे है । मिली जानकारी के अनुसार स्कूल के दाखिल ख़ारिज में पहले नरेंद्र कुमार सिन्हा के पिता का नाम शिवनंदन प्रसाद सिन्हा था लेकिन स्कूल को एक हलफनामा देकर उनके पिता के नाम पर गिरजानंद प्रसाद सिन्हा लिखवा दिया गया, सूत्रों की माने तो यह काम बैक डेट में किया गया होगा। अगर हलफनामा 1978 में बना और इस आधार पर प्राथमिक शाला के समस्त दस्तावेज में सुधार किया गया तो फिर मिडिल स्कूल में कैसे पिता का नाम शिवनंदन सिन्हा दर्ज हुआ। जिसे फिर काटकर गिरजानंदन सिन्हा किया गया। ये हलफनामा दाखिल ख़ारिज में दर्ज पुराने पिता जी शिवनंदन प्रसाद सिन्हा के द्वारा दिया गया है, जो जशपुर में ही सरकारी पद पर कार्यरत थे। इस हलफनामा में क्या लिखा गया है आप भी पढ़िए….
गिरजानंदन प्रसाद सिन्हा के मृत्यु के बाद हलफनामा क्यों दिया गया ?
आपको बता दे की स्वर्गीय गिरजानन्दन प्रसाद सिन्हा प्राथमिक शाला सन्ना में शिक्षक के पद पर पदस्थ थे, उसी समय बीमारी से उनकी मृत्यु हो गई। उनके मृत्यु के लगभग एक साल बाद हलफनामा उनके भाई शिवनंदन प्रसाद सिन्हा के द्वारा देकर एक नहीं दो- दो स्कूलो के दाखिल खारिज पंजी से पुराने पिता का नाम काटकर गिरजानन्दन प्रसाद सिन्हा दर्ज कराया गया है, अब सवाल यह उठता है की अगर नरेंद्र कुमार सिन्हा के पिता का नाम गिरजानन्दन प्रसाद सिन्हा है तो शिवनंदन प्रसाद सिन्हा का नाम दो दो स्कूलो के दाखिल ख़ारिज में कैसे चढ़ गया और गिरजानन्दन प्रसाद सिन्हा के मृत्यु होने के बाद सुधार की जरूरत क्यों पड़ी, पहली से लेकर पांचवी तक इस ओर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया ? ये सारे सवाल कई तरह के संदेह पैदा कर रहे है , अब इस मामले में गंभीरता से जाँच की आवश्कता है. इस मामले में नरेंद्र कुमार सिन्हा से उनका पक्ष जानने की कोशिस की गई लेकिन उन्होंने कहा की विधानसभा में प्रश्न लगा है जवाब वही देंगे..