यह मंदिर दिन में दो बार गायब होता है, अपनी मर्जी से ही दर्शन देते हैं भगवान
गुजरात। भारत के लोगों का पूजा-पाठ में अत्यधिक विश्वास है। भारतीय समाज में मंदिरों की भूमिका केवल उपासना और पूजा-अर्चना के स्थल ही नहीं रह गए हैं बल्कि इन मंदिरों ने आज तक अपने अस्तित्व को जीवित रखा हुआ है। भारत में 10 लाख से भी ज्यादा मंदिर हैं। जहां हर मंदिर की अपनी महिमा है, जिसके चलते लोगों का इन मंदिरों पर सालों से विश्वास बना हुआ है। तो आइए जानते है गुजरात के ऐसे मंदिर के बारे में जो दिन में दो बार गायब होता है, जिसे स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है
ऐसे हुई मंदिर की स्थापना-
शिवपुराण में बताया गया है कि तारकासुर नाम के राक्षस ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए खूब तपस्या की थी। ऐसे में भगवान तारकासुर की तपस्या से खुश हुए और उन्होंने उसे बदले में मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। ऐसे में तारकासुर ने भगवान से वरदान मांगा कि उसे शिव पुत्र के अलावा कोई और नहीं मार सके, इस दौरान उनके पुत्र की आयु 6 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए। महादेव ने तारकासुर को यह वरदान दे दिया। वरदान मिलने के बाद राक्षस ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया।
ऐसे में देवताओं ने भगवान शिव से उसका वध करने की प्रार्थना की, जिसके बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया और राक्षस का वध किया। कार्तिकेय को जब अपनी गलती का अहसास हुआ, तो भगवान विष्णु ने उन्हें प्रायश्चित करने का मौका दिया। भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव दिया कि जहां उन्होंने असुर का वध किया है, वहां वो शिवलिंग की स्थापना करें। भगवान विष्णु के कहने पर कार्तिकेय ने बिल्कुल ऐसा ही किया, जिसके बाद से इस मंदिर को स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
समुद्र की गोद में समा जाता है मंदिर-
बहुत कम लोग जानते होंगे कि यह मंदिर सुबह-शाम दो बार समुद्र की गोद में समा जाता है। हालांकि, इसके पीछे का कारण पूरी तरह प्राकृतिक है, लेकिन इसके बाद भी लोग इसे किसी अजूबे से कम नहीं मानते। दरअसल, यह मंदिर समुद्र के बीच में स्थित है। ऐसे में जब दिन के समय समुद्र का स्तर बढ़ जाता है, तो मंदिर पूरी तरह पानी में डूब जाता है। लेकिन जब पानी का स्तर कम होता है, तो मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। लोगों का मानना है कि समुद्र के पानी से शिवजी का जलाभिषेक होता है। यही देखने के लिए लोग यहां सुबह से रात तक रूकते हैं।
हर कष्ट होंगे दूर-
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि और अमावस्या पर विशाल मेला लगता है। प्रदोष-ग्यारस और पूनम जैसे दिनों पर यहां रातभर पूर्जा अर्चना होती है। आसपास के गांव के अलावा दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव को देखने के लिए आते हैं। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण भोलेनाथ के इस मंदिर की बहुत मान्यता है। कहते हैं इनके दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।