छत्तीसगढ़

इन 22 सीटों पर इन 5 जातियों के लोग ही बनते हैं सांसद, 15 साल में पार्टी बदली पर जाति नहीं….

नई दिल्ली:- 2009 के परिसीमन के बाद बिहार के 22 लोकसभा सीटों का परिसीमन 5 जातियों के आसपास ही घुम रहा है. इन सीटों पर सांसद किसी भी दल के बने लेकिन जाति इन्हीं पांचों की रहती हैं. औरंगाबाद और मधेपुरा समेत कई सीटें ऐसी है, जहां 40 साल से एक ही जाति का कब्जा है.

दिलचस्प बात है कि जिन 5 जातियों के इर्द-गिर्द बिहार के आधे से ज्यादा लोकसभा सीटों का समीकरण घुम रहा है, उन जातियों की आबादी 30 प्रतिशत ही है.

 

मसलन, 3 प्रतिशत वाले राजपूतों का बिहार की 7 लोकसभा सीटों पर लंबे वक्त से कब्जा है. इसी तरह 2.5 प्रतिशत वाले भूमिहार जाति से हर बार 3 सांसद चुनाव जीतकर संसद पहुंच जाते हैं.

 

बिहार जातीय सर्वे के मुताबिक 13 करोड़ आबादी वाले इस राज्य में कुल 214 जातियां हैं. वहीं राज्य में नए परिसीमन के मुताबिक लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं.

 

सीट हड़पने में इन जातियों का दबदबा

राजपूत- सवर्ण समुदाय के राजपूत बिरादरी का बिहार में करीब 3 प्रतिशत आबादी है. 2019 में इस समुदाय से 7 सांसद चुने गए. इनमें पूर्वी चंपारण से राधामोहन सिंह, औरंगाबाद से सुशील सिंह, वैशाली से वीणा सिंह, आरा से आरके सिंह, सीवान से कविता सिंह, महाराजगंद से जनार्दन सिंह और सारण से राजीव प्रताप रूडी का नाम शामिल हैं.

यादव- बिहार में यादव समुदाय की आबादी करीब 14 प्रतिशत है. हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा इसी समुदाय की आबादी है. 2019 में इस समुदाय से 5 नेता लोकसभा पहुंचे. इनमें पाटलीपुत्र से राम कृपाल, मधुबनी से अशोक यादव, उजियारपुर से नित्यानंद राय, बांका से गिरधारी यादव और मधेपुरा से दिनेश यादव का नाम शामिल हैं.

कोइरी-कुर्मी- बिहार में दोनों समुदाय की आबादी करीब 7 प्रतिशत है. कोइरी 4 और कुर्मी 3 प्रतिशत के आसपास है. 2019 में दोनों समुदाय के 4 सांसद को जीत मिली. चारों के नाम हैं- नालंदा से कौशलेंद्र कुमार, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा, काराकाट से महाबली कुशवाहा और वाल्मीकिनगर से बैद्यनाथ कुशवाहा.

पासवान- बिहार में पासवान बिरादरी की आबादी 5 प्रतिशत है. राम विलास पासवान इस जाति के बड़े नेता थे. 2019 में पासवान जाति के 4 लोग सांसद पहुंचे थे. इनमें जमुई से चिराग पासवान, हाजीपुर से पशुपति पारस, समस्तीपुर से रामचंद्र पासवान और सासाराम से छेदी पासवान का नाम शामिल हैं.

भूमिहार- बिहार में भूमिहार समाज की आबादी करीब 2.5 प्रतिशत है. गंगा के किनारे वाले जिलों में इन जातियों का वर्चस्व है. 2019 में बिहार से 3 भूमिहार सांसद बने. इनमें मुंगेर से राजीव रंजन, बेगूसराय से गिरिराज सिंह और नवादा से चंदन सिंह का नाम शामिल हैं.

अब एक-एक सीट की कहानी समझिए-

1. 2009 में मोतिहारी से अलग होकर पूर्वी चंपारण सीट आस्तित्व में आया. तब से इस सीट पर राजपूत समुदाय के राधामोहन सिंह ही सांसद हैं. 2019 में विपक्षी दलों ने राधामोहन सिंह के मुकाबले भूमिहार समुदाय के आकाश को मैदान में उतारा था, लेकिन वे हार गए.

 

2. वैशाली सीट पर 1991 से अब तक राजपूत बिरादरी के ही लोग सांसद बने हैं. 1991 में शिवशरण सिंह जनता दल से चुनाव जीते. 1994 के उपचुनाव में समता पार्टी के लवली आनंद ने जीत दर्ज की. 1996 से 2009 तक आरजेडी के रघुवंश प्रसाद यहां से जीतते रहे. 2014 में लोजपा के रमा शिंह ने रघुवंश प्रसाद को हरा दिया. 2019 में वीणा देवी को यहां से जीत मिली.

 

3. औरंगाबाद की बात करें तो यहां भी राजपूत बिरादरी का ही कब्जा रहा है. औरंगाबाद में अब तक 17 चुनाव में से 16 बार राजपूत समुदाय के ही नेता सांसद बने हैं. 2009, 2014 और 2019 में यहां से सुशील सिंह ने जीत दर्ज की थी. सुशील सिंह से पहले यहां से निखिल कुमार ने जीत दर्ज की थी, वो भी राजपूत समुदाय से ही थे.

 

4. आरा सीट पर वर्तमान में राजपूत समुदाय से आने वाले आरके सिंह सांसद हैं. 2014 से वे लगातार चुनाव जीत रहे हैं. 1998 से आरा सीट पर राजपूतों का कब्जा है. 1998 के चुनाव में समता पार्टी के सिंबल पर हरिद्वार प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की. 1999 में आरजेडी के राम प्रसाद सिंह और 2004 में कांति सिंह ने जीत दर्ज की. 2009 में मीणा सिंह जेडीयू से सांसद चुनी गईं.

 

5. सारण सीट पर भी अभी राजपूत समुदाय के राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं. रूडी 1996 में पहली बार यहां से जीते थे, तब यह सीट छपरा कहलाती थी. सारण सीट पर यादव और राजपूत समुदाय के लोगों का ही लंबे वक्त से कब्जा रहा है. 2009 में लालू यादव यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.

 

सीवान सीट पर अभी राजपूत समुदाय से आने वालीं कविता सिंह सांसद हैं. हालांकि, इस सीट का रिकॉर्ड देखा जाए तो यहां मुसलमान और यादव बिरादरी का कब्जा रहा है. 1996 में यहां से आरजेडी के सिंबल पर शहाबुद्दीन ने जीत हासिल की थी. 2004 तक वे ही यहां से जीतते रहे. 2009 और 2014 में ओम प्रकाश यादव ने जीत हासिल की थी.

7. नालंदा सीट पर अभी कुर्मी समुदाय के कौशलेंद्र कुमार सांसद हैं. कौशलेंद्र 2009 से लगातार इस सीट से सांसद हैं. 2004 में नीतीश कुमार को यहां जीत मिली थी. नीतीश कुमार भी कुर्मी बिरादरी से ही आते हैं.

 

8. काराकाट सीट से अभी कोइरी समुदाय के महाबली कुशवाहा सांसद हैं. 2009 में काराकाट सीट पहली बार आस्तित्व में आया था, तब से यहां कुशवाहा ही सांसद बनते रहे हैं. 2009 में महाबली कुशवाहा और 2014 में उपेंद्र कुशवाहा ने यहां से जीत दर्ज की.

 

9. मधेपुरा सीट पर वर्तमान में यादव बिरादरी के दिनेश चंद्र यादव सांसद हैं. बिहार के सियासी गलियारों में मधेपुरा को लेकर एक नारा भी चलता है- ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का’

मधेपुरा सीट पर 1980 से यादव समुदाय के ही लोगों को जीत मिलती आ रही है. यहां से पप्पू यादव, शरद यादव और लालू यादव भी सांसद रह चुके हैं.

 

10. 2009 में आस्तित्व में आए पाटलीपुत्र सीट पर भी यादव समुदाय के लोग ही जीतते आ रहे हैं. 2014 और 2019 में यहां से रामकृपाल यादव ने जीत दर्ज की. 2009 में रंजन यादव को जीत मिली थी. रंजन ने लालू प्रसाद यादव को चुनाव हराया था. पाटलीपुत्र सीट राजधानी पटना का ग्रामीण सीट है.

 

11. 2009 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1996 से अब तक सभी चुनाव में हाजीपुर सीट पर पासवान समुदाय के नेता ही सांसद बने हैं. 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में हाजीपुर से राम विलास पासवान ने जीत दर्ज की थी. 2019 में पशुपति पारस को यहां से जीत मिली.

 

12. 2009 में आस्तित्व में आए उजियारपुर सीट पर महतो और यादव बिरादरी के लोग ही जीतते रहे हैं. 2009 में अश्वमेघ देवी ने यहां से जीत दर्ज की थी. अश्वमेघ कोइरी बिरादरी से आती हैं. 2014 और 2019 में नित्यानंद राय को यहां से जीत मिली थी. राय यादव समुदाय से आते हैं.

 

13. मधुबनी सीट से वर्तमान में यादव समुदाय के अशोक यादव सांसद हैं. मिथिलांचल के इस सीट पर 1998 से अब तक मुस्लिम और यादव समुदाय का ही कब्जा रहा है. 1998 और 2004 में यहां से शकील अहमद जीतकर संसद पहुंचे. वहीं 1999, 2009 और 2014 में हुकुमदेव नारायण यादव को जीत मिली.

14. अररिया सीट पर वर्तमान में प्रदीप सिंह सांसद हैं. इस सीट पर पिछले 15 साल से मुस्लिम और राजपूत समुदाय का ही कब्जा रहा है. प्रदीप सिंह 2009 में भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं. 2014 में तसलीमुद्दीन ने यहां से जीत हासिल की थी. उनके निधन के बाद 2018 में तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज ने जीत दर्ज की.

15. पूर्णिया सीट से वर्तमान में कुशवाहा बिरादरी के संतोष कुशवाहा सांसद हैं. संतोष 2014 में भी इस सीट से जीते थे. पूर्णिया में राजपूत और कुशवाहा समुदाय की ही 20 साल से कब्जा है. 2004 और 2009 में राजपूत बिरादरी के उदय सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी.

16. समस्तीपुर सीट से वर्तमान में प्रिंस पासवान सांसद हैं. 2019 में यहां से उनके पिता रामचंद्र पासवान ने जीत हासिल की थी. समस्तीपुर में भी 15 साल से पासवान बिरादरी के ही लोग सांसद बनते रहे हैं. 2009 में यहां से महेश्वर हजारी सांसद चुने गए थे. 2014 में रामचंद्र पासवान जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.

17. वाल्मीकिनगर सीट से अभी सुनील कुशवाहा सांसद हैं. 2020 में बैद्यनाथ कुशवाहा के निधन के बाद उन्होंने यहां से जीत हासिल की. 2009 में आस्तित्व में आए इस सीट पर ब्राह्मण और कुशवाहा बिरादरी का ही कब्जा रहा है. अब तक बने 4 में से 3 सांसद कुशवाहा और 1 ब्राह्मण समुदाय के थे.

19. मुंगेर सीट पर वर्तमान में ललन सिंह का कब्जा है और वे भूमिहार जाति से आते हैं. इस सीट पर भी लंबे वक्त से भूमिहार समुदाय का कब्जा रहा है. 2014 में यहां से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी ने जीत हासिल की थी. 2009 में ललन सिंह खुद जीते थे.

20. बेगूसराय सीट वर्तमान में बीजेपी के खाते में है और यहां से अभी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांसद हैं. गिरिराज भूमिहार बिरादरी से आते हैं. 2014 में भूमिहार समुदाय के भोला सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी. 2009 में मुस्लिम समुदाय के मोनजिर हसन को यहां से जीत मिली थी. 2004 में ललन सिंह यहां से जीते थे.

21. बांका सीट से वर्तमान में गिरिधारी यादव सांसद हैं. गिरिधारी यादव समुदाय से आते हैं. बांका सीट पर यादव और ठाकुर समुदायों का कब्जा रहा है. 2014 में यहां से जय प्रकाश यादव ने जीत दर्ज की थी. 2009 में दिग्विजय सिंह यहां से चुनाव जीते थे. वहीं 2004 में गिरिधारी यादव को यहां से जीत मिली थी.

22. महाराजगंज सीट पर भी राजपूत समुदाय का ही दबदबा है. यहां से अभी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सांसद हैं. सिग्रीवाल 2014 में पहली बार यहां से सांसद बने. 2009 में यहां से उमाशंकर सिंह सांसद बने थे. 1998, 1999 और 2004 में प्रभुनाथ सिंह को यहां से जीत मिली थी.

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