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बीजेपी में ‘भर्ती मेला’ जोरों पर, क्या बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता हो रहे असहज?

रायपुर : लोकसभा चुनाव के इस मौसम में बीजेपी में करीब हर रोज कोई न कोई किसी दूसरी पार्टी को छोड़कर शामिल हो रहा है। हर चुनाव की तरह इस बार भी चुनाव से पहले बीजेपी में ‘भर्ती मेला’ जोरों पर है। कुछ लोगों की बस जॉइनिंग हो रही है और कुछ को भर्ती के तुरंत बाद लोकसभा चुनाव का टिकट भी मिल रहा है। कई ऐसे नाम हैं जिन्हें जॉइन करवाने के आधे घंटे के भीतर पार्टी का उम्मीदवार बना दिया गया।

पार्टी के पुराने लोग हो रहे असहज

जिस तरह दूसरी पार्टी से लोग बड़ी संख्या में बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, क्या उससे बीजेपी के कार्यकर्ता और लंबे वक्त से पार्टी से जुड़े लोग असहज (इनसिक्योर) फील कर रहे हैं? इस सवाल पर बीजेपी के एक सीनियर नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि ऐसा सवाल हर चुनाव के वक्त पूछा जाता है और हर बार एक ही जवाब देता हूं कि- इसे ऐसे समझिए… बीजेपी एक ट्रेन है। ट्रेन में यात्री भरे हैं। जब ट्रेन किसी स्टॉप पर रुकती है तो अंदर के यात्री सोचते हैं कि बाहर से और लोग ट्रेन में ना चढ़े, ताकि वह आराम से सफर कर सकें। लेकिन जब और यात्री चढ़ भी जाते हैं तो थोड़ा आगे जाकर जब ट्रेन हिलती डुलती है तो सभी के लिए जगह बन जाती है।

जहां मजबूती वहां पार्टी कार्यकर्ताओं को टिकट मिल रहा’

यही सवाल पूछने पर बीजेपी के एक दूसरे नेता ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सब बाहर से आए हुए लोगों को टिकट दिया जा रहा है। जहां पार्टी मजबूत स्थिति में है वहां पार्टी के कार्यकर्ता को ही टिकट मिल रहा है। जिन जगहों पर बीजेपी के पास कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं था जो जीत दिला सके, वहां दूसरी पार्टी से आए लोगों को टिकट दिया है और अब तो वह भी बीजेपी के ही हैं। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता इसे समझते हैं और जो टिकट मांग रहे होते हैं उन्हें भी मालूम होता है कि वे जीत सकते हैं या नहीं।

शुरू में तो थोड़ा असहज लगता है’

एक सीनियर कार्यकर्ता ने कहा कि जो लोग बीजेपी के खिलाफ बोलते रहे हैं और जिनके खिलाफ हम भी बोलते रहे हैं, वह जब साथ आ जाते हैं तो शुरू में थोड़ा असहज लगता है लेकिन राजनीति में यह सभी तरफ हो रहा है। इसमें क्या किया जा सकता है। जो लोग पार्टी नेताओं के खिलाफ खूब आग उगलते रहे हैं, उन्हें भी बीजेपी में शामिल कर लेना, अजीब नहीं लगता।

नए लोग आते है तो प्रभाव ही बढ़ता है’

पार्टी के एक नेता ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि जो लोग पहले उलटा सीधा बोलते थे वही अब हमारे नेताओं को माला पहनाकर स्वागत कर रहे हैं, तो इसमें क्या दिक्कत है। पार्टी के एक नेता ने पिछले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और, छत्तीसगढ़ चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां आपने देखा कि पार्टी ने अपने पुराने कार्यकर्ताओं को ही सीएम पद की जिम्मेदारी दी। पार्टी में नए लोग आते हैं तो पार्टी का प्रभाव ही बढ़ता है।

जिन पर बीजेपी भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रहती है उन्हें भी पार्टी में शामिल कर लेना क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को नहीं अखरता? संघ के एक स्वयंसेवक ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि राजनीति करना बीजेपी का काम है और बीजेपी वाले ये कहते हैं कि जब जंग (चुनाव) हो रही हो तो जीतने के लिए सभी तरह के हथियार इस्तेमाल करने पड़ते हैं। अगर सामने वाला गोला दागेगा तो हमें भी तो मिसाइल चलानी पड़ती है। हालांकि वे व्यक्तिगत तौर पर इस लॉजिक से सहमत नहीं हैं।

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