बीजापुर । नक्सल प्रभावित बीजापुर जिला के पीडिया में हुए नक्सली मुठभेड़ पर राजनीति गरमायी हुई है। उधर इस मुठभेड़ पर अब सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने भी सवाल उठाते हुए इसे फर्जी बताया है। मीडिया से चर्चा में बेला भाटिया ने आरोप लगाया कि जिन्हे नक्सली बताकर पुलिस ने मारा, उनकी लाश रिश्तेदारों से ढुलवाया गया। इधर सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया के इन आरोपों को एसपी ने गलत बताया है।
बीजापुर में नक्सली मुठभेड़ में 12 माओवादियों के मारे जाने के बाद से ही सूबे की राजनीति गरमायी हुई है। इस मुठभेड़ को जहां पुलिस सही बता रही है, वहीं स्थानीय ग्रामीण मुठभेड़ के नाम पर स्थानीय ग्रामीणों को मारने का गंभीर आरोप लगा रहे है। इस मुद्दे को लेकर जहां सूबे की राजनीति गरमायी हुई है। वहीं दूसरी तरफ इस घटना के बाद सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया बीजापुर पहुंची। यहां पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद उन्होने मीडिया से चर्चा में बताया कि वे मृतकों के परिजनों को लेकर जिला मुख्यालय आईं थीं। बीजापुर एसपी ने पहले मिलने से मना कर दिया। फिर 3 से 4 घंटे तक इंतजार करवाया गया, इसके बाद मुलाकात की।
इसके साथ ही फर्जी मुठभेड़ और घायलों को लेकर थाने में शिकायत पत्र दिया गया। जिसकी पावती पुलिस द्वारा नहीं दी गई। जब पावती देने कहा गया,तो पुलिस ने सीधे तौर पर पावती देने से इंकार करते हुए नही देने की बात कह दी। बेला भाटिया ने बताया कि इतावार गांव से 19 लोग और पीडिया गांव से 57 लोगों को पुलिस पकड़कर ले गई। जिन्हें नक्सली बताकर मारा था, वे सभी ग्रामीण थे। उनमें से 2 ऐसे लोग थे, जो दूसरे गांव के रहने वाले थे। अपने रिश्तेदार के घर आए हु थे। ये लोग तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे, तभी उन्हें मार दिया गया।
बेला भाटिया ने आरोप लगाया कि जिन 12 लोगों को पुलिस ने मारा, उनकी लाश उन्ही के रिश्तेदारों से उठवाया गया। उनके शवों को जिला मुख्यालय तक लाया गया और उनसे मजदूरी करवाई गई। वहीं दूसरी तरफ बेला भाटिया के इन आरोपों पर बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने स्थानीय मीडिया से बात की। जिसमें उन्होने कहा कि हमने एनकाउंटर में 12 नक्सलियों को मारा है। मजदूरी वाली बात पर कहा कि ये आरोप गलत हैं। ये इनका प्रोपोगेंडा है। फिलहाल पीडिया में हुए मुठभेड़ को लेकर जहां राजनीति गरमायी हुई है, वहीं पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाये जा रहे है।