तो केदार कश्यप होंगे शिक्षा मंत्री? बृजमोहन अग्रवाल देंगे इस्तीफा, विधानसभा अध्यक्ष के निवास कार्यालय में …
रायपुर । बृजमोहन अग्रवाल विधायक पद छोड़ेंगे। कुछ देर में वो विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के बंगले मोलश्री विहार कार्यालय में पहुंचेंगे और अपना इस्तीफा देंगे। खुद बृजमोहन अग्रवाल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए संकेत दे चुके थे। वो सांसद ही बने रहेंगे, विधायक पद से वो इस्तीफा देंगे। हालांकि मंत्री पद छोड़ने को लेकर वो बार-बार यही कहते रहे हैं कि अगर मुख्यमंत्री चाहें तो वो छह महीने अभी और मंत्री रह सकते हैं।
इस्तीफा को लेकर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि अग्रवाल ने कहा बहुत दुखी मन से इस्तीफा दे रहा हूं।केंद्रीय मंत्रीमंडल को लेकर कहा उम्मीदे अभी भी कायम है। आपको बता दें कि बृजमोहन अग्रवाल अपना इस्तीफा सौपने कुछ देर में अपने बंगले से निकलेंगे।
केदार कश्यप को मिल सकता है प्रभार
इधर, चर्चा इस बात पर बहस जारी है कि अगर मंत्री पद बृजमोहन अग्रवाल छोड़ते हैं, तो फिर शिक्षा मंत्री का प्रभार किसके पास जायेगा। चर्चा है कि केदार कश्यप को शिक्षा मंत्री का प्रभार दिया जा सकता है। दरअसल केदार कश्यप पूर्व में भी शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। रमन कार्यकाल में उन्हें शिक्षा मंत्री का चार्ज मिला था। मंत्रीमंडल में फेरबदल और नये मंत्री को शामिल करने जैसी अभी कोई सुगबुगाहट नहीं हैं। हालांकि एक चर्चा ये भी है कि अभी कुछ दिन और बृजमोहन अग्रवाल को मंत्री बनाये रखा जा सकता है।
इस्तीफे पर क्या हैं संवैधानिक प्रावधान?
– संविधान के अनुच्छेद 101(2) के मुताबिक, अगर कोई लोकसभा का सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सदन से इस्तीफा देना होता है. इसी तरह अगर किसी विधानसभा का सदस्य लोकसभा का सदस्य बन जाता है तो उसे भी 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है. ऐसा नहीं करने पर उसकी लोकसभा की सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती है.
– इसी तरह अगर कोई लोकसभा का सदस्य राज्यसभा का सदस्य भी बन जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 10 दिन के भीतर एक सदन से इस्तीफा देना होता है. संविधान के अनुच्छेद 101(1) और रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट की धारा 68(1) में इसका प्रावधान है.
– वहीं, अगर कोई व्यक्ति दो लोकसभा सीट से चुनाव लड़ता है और दोनों ही जगह से जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर किसी एक सीट से इस्तीफा देना होता है. यही बात विधानसभा चुनाव में भी लागू होती है. दो सीट से जीतने पर कोई सीट 14 दिन के भीतर छोड़नी पड़ती है.