ॐ और योग के घोष से गूंजा पूरा माई दंतेश्वरी का पवित्र प्रांगण, हजारों लोगों ने एक साथ किया सामूहिक योगाभ्यास
हेमंत साहू की रिपोर्ट
दंतेवाड़ा । प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी दशम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दंतेवाड़ा जिले में विभिन्न स्थानों पर सामूहिक योग प्रदर्शन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में योग साधक पहुंचे। मुख्य कार्यक्रम माई दंतेश्वरी के पवित्र प्रांगण मेंडका डोबरा में आयोजित किया गया। यहां मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित स्थानीय विधायक चैतराम अटामी के साथ लगभग हजारों की संख्या में योग साधकों ने योगाभ्यास किया। यहां जब हजारों लोगों ने ॐ के उद्घोष के साथ योग किया तो नजारा देखने लायक था। योग की आसान संक्रियाओं को करने के साथ ही लोगों ने योग के महत्व भी जाना। योग विशेषज्ञ लोगों को योग के साथ ही यौगिक साधनाओं के महत्व के बारे में बता रहे थे। ऐसे ही नगरीय निकायों तथा ब्लॉक मुख्यालयों में भी नजारा था। यह योग का सम्मान था, भारत की प्राचीन समृद्व संस्कृति का सम्मान था। यह खास अवसर इतना गौरवशाली था कि योग करने वाले अपने जड़ों से जुड़ा महसूस कर रहे थे।
इस मौके पर सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक चैतराम अटामी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बधाई देते हुए कहा कि निरोग रहने के लिए योग भारत के ऋषि-मुनियों की समृद्ध विरासत है। उन्होंने कहा कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर समूचा विश्व योग कर रहा है। जब हम सामूहिक योग करते हैं, तो हमारी सामूहिक भावना और मजबूत होती है तथा हम सभी में अपने देश को आगे ले जाने का संकल्प और भी मजबूत होता है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष तुलिका कर्मा,नगर पालिका अध्यक्ष पायल गुप्ता, नगर पालिका उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह सहित कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी,जिला पंचायत सदस्य रामू राम नेताम, जिला पंचायत सीईओ कुमार बिश्वरंजन, एसडीएम जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, संयुक्त कलेक्टर हिमाचल साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि, पंचायत पदाधिकारी और अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। योग प्रशिक्षक डॉ. संतोष कुमार बर्मन ने प्रार्थना, शिथिलीकरण अभ्यास, ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटि चालन, घुटना संचालन, ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्ध चक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तान मंडूकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध हलासन, पवनमुक्तासन, शवासन, कपालभाति, नाड़ी शोधन अथवा अनुलोम विलोम प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया।