पटवारी के बाद अब तहसीलदार-नायब तहसीलदार भी हड़ताल पर, तीन दिन के सामूहिक अवकाश के बाद..अनिश्चितकालीन
रायपुर । पटवारी के बाद अब तहसीलदार और नायब तहसीलदार भी हड़ताल पर जाने वाले हैं। 7 सूत्री मांगों को लेकर तहसीलदार व नायब तहसीलदार नाराज हैं। लिहाजा उन्होंने राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को ज्ञापन सौंपा और फिर तीन दिन के अवकाश पर जाने का ऐलान कर दिया है। अगर नहीं मांगें पुरी हुई, तो सभी अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले जायेंगे। कनिष्क प्रशासनिक संघ ने झलप में नायब तहसीलदार से मारपीट को लेकर आक्रोशित हैं।
संघ ने कार्यालय में सुरक्षा देने समेत 7 सूत्री मांगें रखी हैं। महासमुंद से झलप में घटना के विरोध में 10 से 12 जुलाई तक हड़ताल का एैलान किया गया है। मांग पूरी नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर संघ जायेगा।संघ का आरोप है कि कांग्रेस सरकार के द्वारा न्यायालय में सुरक्षा हेतु पत्र समस्त कलेक्टर को भी जारी किए गए थे। लेकिन आज तक फील्ड में उसका कोई असर नहीं दिखा है। जिसके कारण आज भी न्यायालय में बैठे तहसीलदार नायब तहसीलदारों के ऊपर असामाजिक तत्वों के द्वारा हमले मारपीट गाली गलौज आदि की खबरें लगातार आती रही है। ऐसी स्थिति में नायब तहसीलदार तहसीलदारों का न्यायालय में बैठकर काम करना मुश्किल हो गया है।
का न्यायालय में बैठकर काम करना मुश्किल हो गया है।
ये है मांगें
संघ का कहना है कि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री के द्वारा नायब तहसीलदारों को राजपत्रित घोषित किया गया था। लेकिन आज तक इस संबंध में कोई भी पत्र सर्कुलर जारी नहीं किया गया है।
इसी प्रकार तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर प्रमोशन में 50-50 का अनुपात लागू करने की घोषणा की गई थी। वह भी अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। एएसएलआर एसएलआर को पर्याप्त संख्या में नायब तहसीलदार तहसीलदार होने के बावजूद तहसीलदार का प्रभार दिया जाता है।
विभिन्न विभागों के कार्यालय का निरीक्षण तथा कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में विभिन्न विभागों के योजनाओं के जांच और निरीक्षण भी तहसीलदारों नायब तहसीलदारों के माध्यम से किया जाता है। परंतु वेतन विसंगति होने के कारण बहुत से विभाग अब उनकी बातों को अनसुना कर रहे हैं।
कई विभागों में विभाग के कार्यालय प्रमुख का वेतन नायब तहसीलदार तहसीलदारों के वेतन से अधिक है ऐसे में नायब तहसीलदारों तहसीलदारों को दूसरे विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करने में कठिनाई उत्पन्न होती है।
संसाधनों की कमी और ऑपरेटर, तहसील स्टाफ चपरासी की कमी होने के बावजूद भी तहसीलदार अपने स्वयं के व्यय से कार्यों को अंजाम देता है। ताकि गरीब किसानों और आम जनता को किसी भी प्रकार का परेशानी ना हो। लेकिन वर्तमान स्थिति में नायब तहसीलदार तहसीलदार को कार्यक्षेत्र में कार्य करने के लिए भय का वातावरण उत्पन्न कर दिया गया है। बिना सुरक्षा के फील्ड में जाना न्यायलयीन कार्य करना अब दूभर हो गया है।