छत्तीसगढ़

10 बैगाओं की मौत मामले में जांच रिपोर्ट से बड़ा खुलासा, डायरिया-दूषित पानी से नहीं, इन वजहों से हुई थी मौत

रायपुर । कबीरधाम में 10 बैगाओं की मौत मामले में जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम में ये बातें सामने आयी है कि जिन बैगा की मौत डायरिया व दूषित पानी पीने से बतायी जा रही थी, दरअसल उनकी मौत की वजह कुछ और है…। कवर्धा के बोड़ला में पनकिन बाई, सामबाई और अनिता बैगा की मौत हुई थी।

पनकिन बाई

स्वास्थ्य विभाग की जांच में पाया गया कि पनकिन बाई पहले से ही लकवा रोग से ग्रसित थी। वो चलने-फिरने में असमर्थ थी, कमजोरी की वजह से उसकी मौत हो गयी। पनकिन बाई को उल्टी-दस्त या बुखार जैसे कुछ भी लक्षण नहीं थे।

रामबाई बैगा

वहीं सामबाई बैगा की स्थिति भी वैसी ही थी। सामबाई भी 2 साल से लकवा ग्रसित थी। उसे खाना निगलने में दिक्कत होती थी। 20 दिनों से वो खाना भी नहीं खा रही थी, 17 जुलाई को उसकी मौत हो गयी। उसमें भी उलटी-दस्त या बुखार के लक्षण नहीं थे।

अनिता बैगा

अनिता बैगा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 6 माह की गर्भवती अनिता को उलटी दस्त बुखार के साथ रक्त स्राव की समस्या थी। लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद जिला अस्पताल और फिर रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान 17 जुलाई उसकी मौत हो गयी। मौत की वजह को किडनी की समस्या को माना गया।

सोन सिंह

वहीं सोनसिंह की मौत 10 जुलाई को हुई थी। सोन सिंह को उलटी दस्त शुरू हुआ और वो चक्कर खाकर गिर गया। उसके हाथ पांव में अकड़ने के बाद अचानक से उसकी मौत हो गयी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर जांच का खुलासा होगा।

फुल बाई

वहीं फुलबाई की मौत के बारे में रिपोर्ट आयी है कि परिवार के सभी सदस्यों ने फुटू खाया था। फुटू खाने के बाद ही फुलबाई सहित परिवार के सभी लोगों की तबीयत बिगड़ गयी। इसके कुछ देर बाद ही फुलबाई की मौत हो गयी। वहीं परिवार के दो सदस्यों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अब उनलोगों की स्थिति सामान्य है।

सुरेश धुर्वे

सुरेश धुर्वे की मौत 4 जुलाई को हुई थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम को जांच में ये पता चला कि खाना खाने के बाद अचानक से सुरेश धुर्वे की पेट में दर्द और उलटी शुरू हुआ। घरेलू उपचार जड़ी बूटी से किया गया था, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाने की सलाह दी गयी, लेकिन मृतक के परिजनों ने ऐसा नहीं किया। जिसके बाद 8 जुलाई को सुरेश की मौत हो गयी।

ललेश्वरी मेरावी

एक और बैगा की मौत ललेश्वरी मेरावी के रूप में हुई है। ललेश्वरी मेरावी की तबीयत पहले लालघाट मध्यप्रदेश में बिगड़ी थी। तबीयत खराब होने के बाद भी डाक्टर से इलाज नहीं कराया गया, लेकिन उसकी तबीयत सुधरी नहीं, जिसके बाद लालघाट में ही ललेश्वरी की मौत हो गयी।

रज्जू बैगा

रज्जू बैगा की मौत 1 जुलाई को हुई थी। रज्जू बचपन से ही कमजोर था। वो घटना वाले दिन पड़कीपारा गया था, इसी दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गयी। बाबजूद रज्जू को अस्पताल नहीं ले जाया गया, जिसकी वजह से 2 जुलाई को उसकी मौत हो गयी।

संती बाई

संती बाई के हाथ पांव में दर्द रहता था। 4 जुलाई को अत्यधिक दर्द के बाद उसे बोड़ला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ, जिसके बाद 5 जुलाई को उसकी मौत हो गयी।

छोटू बैगा

छोटू बैगा अपने बेटी-दामाद के घर गये थे। 9 जुलाई को उनकी तबीयत बिगड़ गयी। उन्हें अगले दिन 10 जुलाई को पिकअप के जरिये घर लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गयी।

 

 

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