वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मी अपने 10 सूत्री मांगो को लेकर अनिश्चित कालीन आंदोलन में बैठे
आप पार्टी ने आंदोलन का समर्थन कर दैनिक वेतन कर्मचारी के माँग को पूरा करने की माँग किया
धरणा स्थल तूता में पानी शौचालय की अव्यवस्था प्रदेश के धरना कर्मी शासन के नीति से ख़ासा नाराज
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य के वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी रविवार 11 अगस्त से वेतन व नियमितीकरण की मांग को लेकर अनिश्चित क़ालीन धरणा प्रदेश अध्यक्ष फेडरेशन के संयोजक रामकुमार सिन्हा के नेतृत्व में प्रदेश के वन कर्मी अपने अनिश्चित क़ालीन धरना में बैठ गये हैं।
वन विभाग के अनियमित कर्मचारी प्रदेश के कोने कोने से धरना स्थल में पहुँच कर अपने हक़ अधिकार के लिए आंदोलनकारी हजारों की संख्या में नया रायपुर तूता धरना स्थल में भाजपा की झूठे वादे 100 दिन में भाजपा की सरकार बनने पर अनियमित कर्मचारी के नियमितीकरण के वादे को याद दिलाने धरना दे रहे हैं। जहाँ ना पीने का पानी है। ना ही नहाने धोने के लिए पानी दैनिक कर्म की शौच की भी व्यवस्था नहीं है। जिसको लेकर आंदोलन कर्मी भाजपा सरकार के नीति से काफ़ी ख़फ़ा है। होना भी लाज़मी है।
क्योंकि धरना स्थल में कोई भी सुविधा नहीं है। शहर से काफ़ी दूर हो जाने से मीडिया कवरेज भी नहीं हो रही है। आंदोलन की आवाज़ को दबाने का आरोप आम आदमी पार्टी के नेताओ ने लगाई है। जहां प्रदेश के नागरिक अपने सांविधानिक अधिकार के तहत धरना पर्दशन कर अपनी हक़ अधिकार की माँग शासन से करती है। जिसे भी सद्यंत्र पूर्वक कुचला जा रहा है। जिसको लेकर आंदोलन कारियो में भी काफ़ी आक्रोश नज़र आ रही है। आम आदमी पार्टी ने धरना स्थल में पानी शौचालय जैसे मूल भूत व्यवस्था करने में राज्य की भाजपा सरकार पूर्ण रूप से विफल है।
भाजपा सरकार नियमितीकरण सरकार बनने के 100 दिन के वादे में भी जुमला शाबिद हो रही है। वन कर्मी अपने संविधानिक माँग को लेकर अपने वेतन सहित 10 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चित क़ालीन धरना में बैठ गया है। जिसका समर्थन आम आदमी पार्टी के कर्मचारी नेता विजय झा प्रदेश संगठन मंत्री जसबीर सिंह चावला प्रदेश अध्यक्ष एस.सी.विंग परमानंद जांगड़े ने समर्थन किया, सरकार की वादा खिलाफी की निंदा की है तथा तत्काल नियमितीकरण व वेतन भुगतान की मांग की है। तथा धरना स्थल में मूलभूत पानी शौचालय जैसे बुनियादी सुविधा बहाल करने की माँग किया।
तूता धरना स्थल को तत्काल रायपुर में वापस लाये जाने की माँग किया ताकि प्रदेश के कर्मचारी किसान आम जनता अपने संविधानिक अधिकार के लिए अपनी माँग संविधान के दायरे में अपने अधिकार के तहत धरना देकर अपनी आवाज़ समस्या शासन तक पहुचा सके।