बिलासपुर

किसानों की जमीन ले ली मुआवजा नहीं दिया..कोर्ट का आदेश नहीं माना, हाईकोर्ट का आदेश.3 सितंबर को फाइल लेकर व्यक्तिगत रूप से हाजिर हों अफसर

बिलासपुर : जांजगीर-चांपा जिले में बिना उचित अधिग्रहण प्रक्रिया के किसान की जमीन पर सड़क निर्माण करने और कोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजा नहीं दिए जाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना का दोषी माना है। कोर्ट ने इन अधिकारियों को 3 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।

अभियोजन से मिली जानकारी के अनुसार जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम अंडी पोस्ट किरारी निवासी नेतराम भारद्वाज और भवानी लाल भारद्वाज की जमीन पर लोक निर्माण विभाग ने बिना अधिग्रहण के सड़क बना दी थी। जब जमीन मालिकों ने मुआवजा दिलाने के लिए कलेक्टर जांजगीर से आवेदन किया, तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे परेशान होकर उन्होंने अधिवक्ता योगेश चंद्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
नवंबर 2022 में जस्टिस आरसीएस सामंत ने इस मामले की सुनवाई में पाया कि याचिकाकर्ताओं की भूमि 2012 में अधिग्रहित की गई थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि 15 दिनों के अंदर याचिकाकर्ता अपनी शिकायत पेश करें और संबंधित अधिकारी 120 दिनों के भीतर मुआवजे की प्रक्रिया पूरी करें। इस आदेश का पालन नहीं हुआ, जिससे मजबूर होकर याचिकाकर्ताओं ने पुनः अवमानना याचिका दायर की।

इस मामले में कोर्ट ने कलेक्टर सक्ती नूपुर राशि पन्ना को अवकाश के कारण उपस्थिति से छूट दी है, जबकि राकेश द्विवेदी (अनुविभागीय अधिकारी, पीडब्ल्यूडी सक्ती), रूपेंद्र पटेल (अनुविभागीय दंडाधिकारी, मालखरौदा), रेना जमील (मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत), और प्रज्ञा नंद (कार्यकारी अधिकारी, पीडब्ल्यूडी ब्रिज, जगदलपुर) को 3 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया है। साथ ही आदेश का पालन करने की भी हिदायत दी है।

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