दंतेवाड़ा

दंतेवाड़ा : मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक दिवसीय ब्लॉक स्तरीय सत्संग कार्यक्रम, कार्यक्रम में शामिल श्रद्धालुओं को सत्संग के बारे बतलाया गया..

हेमन्त कुमार साहू की रिपोर्ट,

बैलाडीला किरंदुल : मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक दिवसीय ब्लॉक स्तरीय सत्संग कार्यक्रम में दिनांक 28/08/2024 दिन बुधवार को दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला किरंदुल शहर में स्थित रेलवे इंस्टीट्यूट में प्रोजेक्टर के माध्यम से सत्संग संपन्न हुआ जिसमे संत रामपाल जी महाराज जी एवं  आसपास के नगरवासियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में संत जी ने जीवन सुधारने और सही मार्ग पर लाने के लिए सत्संग को मूल आधार बताया। उन्होंने कहा कि जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति में सत्संग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

संत जी ने बताया कि सत्संग का अर्थ है सत्य पर आधारित आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार। सच्चा सत्संग वही है जिसमें केवल सत्य बताया जाता है और किसी भी प्रकार की शंका नहीं रहती। यह ज्ञान केवल संत या सतगुरु ही दे सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी ने पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी की वाणी का हवाला देते हुए कहा सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार। तो भी बराबर है नहीं, कहे कबीर विचार।

यह वाणी सत्संग के महत्व को दर्शाती है। इसका अर्थ है कि सत्संग के थोड़े समय का भी महत्व तपस्या के हजारों वर्षों से अधिक होता है। सत्संग का उद्देश्य परमेश्वर का यथार्थ ज्ञान प्रदान करना है। इस ज्ञान के द्वारा मनुष्य भक्ति कर सकता है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम में शामिल श्रद्धालुओं ने संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग से जाना कि सत्संग हमारे जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि शरीर के लिए भोजन। भोजन से हम शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, लेकिन आत्मा की संतुष्टि के लिए कुछ नहीं करते हैं। इसलिए आत्मा की संतुष्टि के लिए सत्संग में भाग लेना अत्यंत आवश्यक है। सत्संग में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।

जिसमें जिला संयोजक पोषण लाल साहू, राजा राम तामो एवं वीरेंद्र दास, ललित दास, भूपेश्वर दास, भूपेन्द्र दास, कासीम दास, मुरली दास, सुरेश दास,फुलेश्वरी दासी, शकुन दासी, कावेरी दासी, पदमा दासी, कुमारी दासी एवं अन्य साथियों ने इस अवसर पर कहा कि संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण करना है। और समाज में फैली हुई हर प्रकार की बुराइयां जैसे चोरी-ठगी, बेईमानी, रिश्वतखोरी, छुआछूत, दहेज प्रथा, नशा मुक्त समाज की स्थापना करना हैं।

 

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