छत्तीसगढ़रायपुर

सिंगर हंसराज रघुवंशी की अनसुनी कहानियां : कैंटीन में बर्तन मांजते हुए गाने गाता रहा

रायपुर : ‘मेरा भोला है भंडारी’ और ‘राधे राधे’ जैसे गाने गा चुके जाने-माने सिंगर हंसराज रघुवंशी इन दिनों राजधानी रायपुर में है। हंसराज रघुवंशी हिमाचल प्रदेश में सोलन जिले के मांगल गांव के रहने वाले हैं। 2019 में उनका गाना ‘मेरा भोला है भंडारी’ रिलीज हुआ था, जो लोगों को खूब पसंद आया। जिसके बाद वो लाइमलाइट में बन गए। हरिभूमि ने रायपुर में दही हांडी कार्यक्रम में शामिल होने आए हंसराज रघुवंशी से खास बातचीत की है। आइए जानते है सिंगर के अब तक के सफ़र के बारे में

कॉलेज के कैंटीन में काम करते और गाना भी गाते थे

बहुत कम लोग जानते है कि सिंगर बनने से पहले कुछ दिनों तक हंसराज रघुवंशी कैंटीन में काम भी करते थे। हंसराज ने बताया कि पैसों की कमी के चलते वह अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए। उन्होंने कहा, मैं अपने कॉलेज की पढाई के दौरान वहीं के कैंटीन में बर्तन धोने का काम भी करता था। पैसों की वजह से आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। लेकिन इस बात का उन्हें कोई मलाल नहीं है। मैं शुरूआत से ही भोलेनाथ के गीत गाता था और मैं ये मानता हूं कि बाबा भोलेनाथ ने ही मुझे भजन गाने के लिए चुना है

गीत गाते समय मन में क्या चलता है?

हंसराज रघुवंशी इसका जवाब देते हुए कहा कि, जब भी मैंने पैसों के लिए या हिट होने के लिए गाना गाया वह सफल नहीं हुआ। लेकिन जब मैंने भगवान के लिए गाया तो बिना किसी उम्मीद के वह गीत सफल रहा। मैं मानता हूं कि, जो भी होता है, वह भगवान की इच्छा से होता है।

धर्मपत्नी के साथ संघर्ष और सफलता का सफर

हंसराज रघुवंशी कहते है की उनकी धर्मपत्नी ने उनके साथ संघर्ष के समय में भी साथ दिया। समय हमेशा बदलता रहता है, कभी अच्छा, कभी बुरा, लेकिन उनकी धर्मपत्नी ने हर समय उनका साथ दिया और वही उनके लिए सबसे बड़ी दौलत हैं।

संस्कृति और भगवान भोलेनाथ के प्रति झुकाव

हंसराज रघुवंशी का कहना है कि बॉलीवुड के गाने सुनना बुरा नहीं है, लेकिन उन्हें भजनों से ही ख्याति मिली है। उन्होंने बताया कि शुरूआत में वे भी हिंदी और बॉलीवुड के गाने गाना चाहते थे, लेकिन भोलेनाथ की कृपा से उन्हें भजन गाने का अवसर मिला। उन्होंने भजन गाने को अपना जीवन लक्ष्य मान लिया है। और वे अपने सनातन धर्म के लिए ही गाने गाते रहेंगे
मैंने भजन गाने के लिए कभी नहीं लिया पैसा

हंसराज रघुवंशी कहते है कि उन्होंने भजन गाने के लिए कभी किसी से कोई पैसा नहीं लिया। जब कहीं किसी भगवान से जुड़े कार्यक्रम में लोगों को टिकट खरीदने की नौबत आता है तो वे इसका विरोध करते है। लेकिन जब किसी बॉलीवुड सिंगर के कांसर्ट में हजारों की टिकट खरीदकर उन्हें जाना पड़े तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है।भजन सुनने से पॉजिटिविटी आती है और आज के कलयुग में ऐसी स्थिति है कि इंसानों की किसी की गाड़ी किसी से टच भी हो जाती है गलियां निकलना शुरू कर देते है। जब आप पॉजिटिव में रहेंगे भगवान का गुणगान करेंगे तो ऐसा नहीं होगा।

छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए कोई विशेष गीत?

इसके जवाब में उन्होंने कहा की वे भविष्य में छत्तीसगढ़ के लोक गीत गाने की इच्छा रखते हैं। साथ ही युवाओं के लिए सन्देश देते हुए कहा की मेहनत करते रहें, अच्छी नियत रखें, और हमेशा अच्छे कर्म करें। वे कहते हैं कि अगर आपका मन और नियत अच्छे हैं, तो आपको परमात्मा की कृपा अवश्य मिलेगीकभी गीत छोड़ने का विचार आया ?

हंसराज रघुवंशी कहते हैं कि कभी भी उन्होंने गीत छोड़ने का विचार नहीं किया। क्योंकि भोलेनाथ की कृपा हमेशा उनके साथ रही। उन्होंने उधार लिया, लोन लिया, छोटे-मोटे काम किए, लेकिन गाना बनाना कभी नहीं छोड़ा। वे बताते हैं कि भजन गाने के लिए उन्होंने कभी किसी से पैसा नहीं लिया। आगे कहते है की वे जब भी गाना लिखते है तो हाथ में किताब और पेंसिल नहीं रखते है। बस एकांत में बैठते है और वे भजनों के बोल तैयार करते है। जीवन में हार न मानने की मिली मां से प्रेरणा हंसराज रघुवंशी मानते हैं कि इंसान के पास कुछ भी नहीं होता, सब कुछ प्रभु करते हैं। जीवन में सफलता पाने के लिए बड़ी तपस्या करनी पड़ती है। 2011 से लेकर 2019 तक मेहनत की, गाने लिखे, कंपोज किए, और यूट्यूब पर पोस्ट। कई बार असफलता का सामना किया, लेकिन उन्हें बचपन से उनकी मां से ये संस्कार मिले है कि जीवन में भी हार नहीं मानी और यही कारण है कि वे आज इतने सफल सिंगर है।

बाबा का उपनाम कैसे मिला?

इस सवाल के जवाब में हंसराज रघुवंशी ने बताया कि उनका उपनाम “बाबा” उनके एक भजन “बाबा जी” से मिला। उन्होंने यह नाम कभी खुद नहीं लिखा, लेकिन लोग उन्हें बाबा कहने लगे। वे इसे भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मानते हैं और इसे स्वीकार करते

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button