छत्तीसगढ़
पोरा तिहार विशेष रचना…
रायपुर : सुनीता शर्मा शिक्षिका, छत्तीसगढ़
बइला हा सजा गे हवय ।
जाता पोरा के खिलौना, हटरी में गंजा गे हवय।
किसनहा मन के मेहनत ,
रंग लावत हावय ।
धान पान हा बाढत हावय।
बहिनी दाई मन रद्दा देखत हाबय।
ददा अउ भाई मन,
लेवाल जावत हाबय ।
सियानहा मन बेटी माई,
मन बर लुगरा छांटत हवय।
माई लोगन मन खुश होवत हवय ।
घरों घर ह ,महमहावत हावय।
ठेठरी खुरमी बिरिया चुरत हवय।
टुरी मन पोरा छांटत हावय ।
बारी बखरी म जोधरी ,
खीरा पाके हावय ।
करेला करू हा, इतरावत हावय।
गांव गांव म बेटी माई,
मन सकलावत हावय ।
आगे पोरा तिहार बहिनी ।
आगे पोरा तिहार।।
गाँव गली सुगघर महकत हाबय ||