बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अलग-अलग विभागों में काम करने वाले दिव्यांग अधिकारी और कर्मचारियों की पोस्टिंग और तबादले के लिए नीति बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत राज्य आयुक्त की नियुक्ति की जाए। कोर्ट के आदेश से दिव्यांग कर्मियों के तबादले और पोस्टिंग में उनके अधिकारों का पूरा संरक्षण होगा, इसलिए यह उनके लिए लाभकारी होगा।
एक मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को दिव्यांग अधिकारियों और कर्मचारियों संबंध में नीति बनाने और कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया। आदेश में लिखा गया है कि धारा 80 के तहत आयुक्त को अलग-अलग सक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के हनन के संबंध में खुद से विचार करना होगा। दरअसल, सचिव नगरीय प्रशासन ने 12 सितंबर 2023 याचिकाकर्ता आरएसआई (सहायक राजस्व निरीक्षक) का तबादला नगर पालिका परिषद कुम्हारी, जिला दुर्ग कर दिया था।
इस आदेश को उन्होंने 21 अगस्त 2024 को चुनौती दी, जिसके तहत उसे वर्तमान पदस्थापना वाली जगह से हटाकर स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने कहा गया।याचिकाकर्ता के धिवक्ता संदीप दुबे ने जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को प्रारंभ में शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के तहत नगर पालिका परिषद बेमेतरा में भृत्य के पद पर नियुक्त किया गया था। वह 70 प्रतिशत चलने-फिरने में अक्षम है (एक हाथ पूरी तरह से कटा हुआ है)।
राज्य शासन के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि स्थानांतरण आदेश एक वर्ष पूर्व जारी हुआ था और रिलीविंग आदेश जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण आदेश और रिलीविंग आदेश दोनों को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।
चार हफ्ते में होगा निराकरण
सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को अभ्यावेदन प्राप्ति की तिथि से चार सप्ताह की अवधि में अभ्यावेदन का निराकरण करना होगा। कोर्ट ने कहा है कि दिव्यांग व्यक्तियों को यथासंभव उनकी पसंद के स्थानों पर तैनात किया जा सके इसकी व्यवस्था करनी होगी। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि लंबी दूरी की यात्रा से बचने के लिए निवास से दूरी एक प्रासंगिक विचार हो सकता है।
पसंद के स्थानों पर तैनाती
कोर्ट ने स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता को नगर पालिका परिषद बेमेतरा में कार्य करने की अनुमति दे दी गई है। याचिकाकर्ता को 10 दिवस के भीतर सचिव नगरीय प्रशासन के समक्ष समस्त दस्तावेजों के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत करना होगा। व्यायालय ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता अभ्यावेदन प्रस्तुत करता है तो सचिव नगरीय प्रशासन उस पर विधि अनुसार विचार कर निर्णय लेंगे।