
रायपुर। इंटक को फर्जी कहने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए पप्पू अली ने कहा कि इंटक को पूरे 76 वर्ष हो चुके है और इंटक को फर्जी कहते है। भारत को आजादी मिलने से ठीक 3 महीने पहले 3 मई 1947 को इंटक की स्थापना हुई थी।
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू अली ने प्रेस कांफ्रेस मे बताया कि आचार्य जेबी कृपलानी, जो उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे, उस समय इंटक के स्थापना के संस्थापक सम्मेलन का उद्धाटन किया था। उद्धाटन सत्र में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित नेताओं मे पंडित जवाहरलाल नेहरु,शंकरराव देव,जगजीवन राम,बीजी खेर,ओपी मेहताब, अरुणा आसफ अली, राम मनोहर लोहिया,अशोक मेहता,रामचंद्र सखाराम रुइकर, मणिबेन पटेल, और अन्य प्रमुख ट्रेड यूनियवादी शामिल थे। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन मे, संस्थापकों ने अपनी बुद्धिमानी से इंटक को अपने स्वयं के संविधान के साथ एक स्वतंत्र पहचान देने को प्राथमिकता दी, जबकि साथ ही वह कांग्रेस की एक शाखा के रूप में कार्य कर सके।
समाज की एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना जो अपने व्यक्तिगत सदस्यों के सर्वागीण विकास के रास्ते में आने वाली बाधाओं से मुफ्त हो, जो अपने सभी पहलुओं में मानव व्यक्तित्व के विकास को बढ़ावा देती है और समाजिक, राजनितिक या आर्थिक शोषण को उत्तरोत्तर समाप्त करने में चरम सीमा तक जाती है। और असमानता, आर्थिक गतिविधि और समाज के संगठन में लाभ का उद्देश्य और किसी भी रूप मे असामाजिक एकाग्रता। उपरोक्त उद्देश्यों को शीध्रता से पुरा करने के लिए उद्योग को उपयुक्त रूप से राष्ट्रीय स्वामित्व और नियंत्रण मे रखना।समाज को इस प्रकार संगठित करना कि पूर्ण रोजगार सुनिश्चित हो सके और उसकी जनशक्ति तथा अन्य संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग हो सके।
उद्योग के प्रशासन में श्रमिक की बढ़ती भागीदारी और इसके नियंत्रण में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना। कृषि श्रमिकों सहित सभी श्रेणियों के श्रमिकों के एक प्रभावी और पूर्ण संगठन को सुनिश्चित करने के लिए आम तौर पर श्रमिक वर्ग के समाजिक नागरिकों और राजनितिक हित को बढ़ावा देना। संबद्ध संगठनों की गतिविधियों का मार्गदर्शन और समन्वय करना। संबद्ध संगठनों की गतिविधियों में सहायता और समन्यव करना। ट्रेड यूनियनों के गठन में सहायता करना। राष्ट्रव्यापी आधार पर प्रत्येक उद्योग के श्रमिक के संगठन को बढ़ावा देना। क्षेत्रीय या प्रदेश शाखाओं या महासंधों के गठन मे सहायता करना।
काम और जीवन की स्थितियों तथा उद्योग और समाज में श्रमिकों की स्थिति में सीध्र सुधार सुनिश्चित करना।श्रमिकों के लिए समाजिक सुरक्षा के विभिन्न उपाय प्राप्त करना, दुर्घटना मातृत्व,बिमारी,बुढ़ापा,और बरोजगारी के संबंध मे पर्याप्त प्रावधान शामिल है।समान्य रोजगार मे प्रत्येक श्रमिक के लिए जीवनयापन योग्य मजदूरी सुनिश्चित करना और श्रमिकों के जीवन स्तर मे प्रगतिशील सुधार लाना।
श्रमिकों की स्थितियों को ध्यान मे रखते हुए काम के घंटे और अन्य शर्तो को विनियम करना और श्रम की सुरक्षा और उत्थान के लिए कानून का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।केवल औद्योगिक संबंध स्थापित करना।काम को रोके बिना,बातचीत और सुलह के माध्यम से और मध्यस्थता या न्यायनिर्णयन के माध्यम से विफल होने पर शिकायतों का सुनिश्चित नियरण।
शिकायतों के निवारण के लिए हड़ताल या किसी उपयुक्त प्रकार के सत्याग्रह सहित अन्य वैध तरिके का सहारा लेना चाहिए जहा न्यायनिर्णयन लागू नहीं होता है और मध्यस्थता द्वारा उचित समय के भीतर विवादों का निपटारा उपलब्ध नहीं होता है। अधिकृत हड़तालो या सत्याग्रह के संतोषजनक और शीध्र समापन के कुशल संचालन के लिए आवश्यक व्यवस्था करना श्रमिकों के बीच एकजुटता,सेवा,भाईचारा,सयोग,और पारस्परिक सहायता की भावना को बढ़ावा देना।
श्रमिकों मे उद्योग और समुदय मे प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करना।04 मार्च 2011को प्रदेश यूथ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह एवं रायपुर जिला अध्यक्ष कमलेश मिश्रा द्वारा मुझे रायपुर जिला महामंत्री नियुक्त किया गया था तबसे लेकर आज मै अपनी पुरी लगन मेहनत व निश्वार्थ श्रमिकों के हित मे काम कर रहा हु और आगे भी करता रहूंगा।