आरंग

जनपद क्षेत्र क्रमांक -1 आरंग में चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरु

जनपद प्रतिनिधि के साथ पूर्व जनपद प्रत्याशी कर रहे दावेदारी

ग्राम भैंसा के कट जाने से चुनाव मे होगा व्यापक असर

रवि कुमार तिवारी, 

भैंसा। प्रदेश में इस बार की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जनपद जिला और पंचायत के साथ-साथ नगरी निकाय का चुनाव भी होना है जिसमें अब मात्र एक माह का ही अंतराल बचा हुआ है हालाँकि अभी तारीख तय नहीं हुआ है लेकिन चर्चा चाय की तरह आम हो गयी है इस चुनावी समर का शंखनाद ग्रामीण इलाके में चौक चौराहों पर चर्चा की शुरुआत हो गयी है सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार 20 दिसंबर तक चुनाव की तारीख और दिसंबर मांह के अंतिम तक आरक्षण तय होने की सम्भावना है इस वर्ष प्रदेश में हो रहे इस चुनाव में अनेक बदलाव देखने को मिल रहा है जिससे चुनावी गणित का जोड़ घटाव ने परिवर्तन होने के आसार है जहाँ नगरी निकाय में अध्यक्ष पद का चुनाव अलग से होगा, वही पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 50% तक तय किया गया है अर्थात् पिछड़ा वर्ग बाहुल्य क्षेत्र में आरक्षण को तय माना जा रहा है वही इस बीच जनपद चुनाव को लेकर क्षेत्र में चर्चा की गयी जिसमें अनेक दावेदारों का नाम सामने आ रहा है इस बार जनपद क्षेत्र क्रमांक 1 से भैंसा अलग हो चूका है जिसके कारण यह चुनाव की दशा और दिशा दोनों ही परिवर्तित नजर आ रही है यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है पिछली चुनाव को देखे तो जनपद में मुख्य रूप से प्रत्याशी ग्राम -अछोलि- करमा के पूर्व सरपंच अनिल सोनवानी ने महिला आरक्षण होने के कारण अपनी पत्नी दिव्या अनिल सोनवानी को मैदान में उतारा था जो कि वर्तमान जनपद के पद पर है तो इनके निकट प्रतिद्वंन्दी के रूप में क्षेत्र के कुलीपोटा- भैंसमुड़ी से शेखर नारंग ने अपनी पत्नी पूनम नारंग को प्रत्याशी बनाया था जो पूर्व में भी जनपद का चुनाव लड़ चुके है तथा क्षेत्र और समाज में सक्रिय भूमिका रखते है तथा तीसरे मोर्चे पर दोनों के मध्य में अपनी दावेदारी क्षेत्र के पूर्व जिला पंचायत सदस्य इतवारी राम मांडले के पुत्र राजू संगीता मांडले मैदान में थे और इनके आलावा भी चार पांच प्रत्याशी मैदान में रहे जिन्होंने वोट बांटने का कार्य बखूबी किया इस चुनाव में ग्राम भैंसा इस क्षेत्र में सम्मिलित था जो हार जीत के अंतर में होनी विशेष भूमिका अदा करता रहा है जिसका उदाहरण पूर्व चुनाव में गाँव के ही भावदास लहरे को एक तरफा मत प्रदान कर जनपद सदस्य बनाया गया था वही इस बार क्षेत्र से भैंसा का नाम हटने से क्षेत्रीय लड़ाई और सघण हो गयी है इस बार सत्ताधारी बीजेपी ने यह तय कर दिया है की 21 से 35 वर्ष के युवाओं को क्षेत्रीय राजनीति में दावेदारी का मौका मिलेगा वही 40-45 वर्ष के कार्यकर्ताओ को मंडल में स्थान मिलेगा तथा 60 वर्ष वाले कार्यकर्ताओं को जिला में नियुक्त करने का ऐलान किया है जिससे बीजेपी कांग्रेस से दावेदारी पेश करने वाले युवाओं के लिए सुनहरा अवसर है वर्तमान में क्षेत्र के दावेदार खुल कर सामने नहीं आ रहे है जिससे अभी दो तीन नामों पर ही चर्चा हो रहा है जो पूर्व चुनावों में मैदान पर थे, बीजेपी से दावेदारी को लेकर वर्तमान जनपद प्रतिनिधि अनिल सोनवानी से चर्चा करने पर उनके द्वारा जानकारी दी गयी है कि क्षेत्र में जो विकास का कार्य कांग्रेस सरकार के चलते अवरुद्ध हो गया था उसे पूर्ण करने के लिए जनता की सेवा के लिए पुनः मैदान में उतरेंगे और अपनी दावेदारी की शरूवाती रुझान विभिन्न कार्यों और कार्यक्रमों के माध्यम से शुरुआत क़र दिये है तो कांग्रेस से अनुसूचित जाति मोर्चा युवा महासचिव आरंग गुरुचरण मिरि ने बताया की मंत्री डहरिया द्वारा जो क्षेत्र में विकास हुआ है उसके दम ओर इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी को मौका मिलेगा क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए विकास देखे जा सकते है दावेदारी पर उनके द्वारा बताया गया की ग्राम पंचायत की आरक्षण के बाद ही तय कर पाएंगे अभी पार्टी कमान से कोई आदेश नहीं आया है, इसी बीच पूर्व प्रत्याशी शेखर नारंग से चर्चा की गयी जो की पूर्वव्रती दो बार के प्रत्याशी है जो निकट प्रतिद्वंन्दी रहे है और निर्दलीय चुनाव लड़ने मे भरोसा रखते है वो जहाँ आंतरिक ऊर्जा से भरपूर जोश मे नजर आये और अपने जीत को लेकर इस बार पूर्ण आश्वस्त है उनका कथन है कि दस वर्षों के इस राजनीतिक समाजिक जीवन में जो कमी थी उसे पूरा करने का पुनः प्रयास करेंगे जनता के बीच जाकर अपनी उम्मीदवारी रखेंगे यदि जनता का आशीर्वाद रहा तो इस बार जीत अवश्य होंगी। वही विगत चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे राजू संगीता मांडले का कहना है कि पंचायत में इस बार आरक्षण देखेंगे यदि आरक्षण रहा तो पहले अपने गाँव का विकास करेंगे जो पिछले दशक से रुका हुआ है यदि यहां मौका नहीं मिला तो पुनः जनपद में प्रयास करेंगे चूकिं राजू मांडले के पिताजी इतवारी राम मांडले पिछले 40 वर्षो से ग्राम से लेकर आस पास क्षेत्र में जिला और विधानसभा तक की राजनीति में सक्रिय रहे है जो कि पूर्व में लांजा से सरपंच तथा जिला रायपुर जिला पंचायत सदस्य रह चुके है एवं समाज और क्षेत्र में इनका पूर्व से ही सक्रियता रही है वर्तमान में सतनामी समाज के राजमहंत के रूप में अपना योगदान दे रहे है ज्ञात हो की भटिया में पिछले दो पंचवर्षीय से पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रहा है तो आम लोगो का मानना है इस बार अनुसूचित जाति आने का आसार है इन तीन पूर्व प्रत्याशीयो के आलावा भी क्षेत्र के भैंसमुड़ी, कुलीपोटा, अछोली, सेजा, मजीठा, भटिया, लांजा, सेजा, खोरसी से उम्मीदवारी होने की प्रबल सम्भावना है इस क्षेत्र मे मात्र ग्राम करमा इस दावेदारी से बाहर है क्योंकि यह क्षेत्र अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित है और ग्राम करमा मे इस वर्ग से कोई नहीं है अतः यह इस चुनाव मे निर्णायक की भूमिका अदा करेगा क्योंकि यदि सभी ग्रामो से प्रत्याशी होंगे तो निश्चित ही मतदाता अपने स्थानीय प्रत्याशी को चुनना पसंद करते है जिससे मत बंटेगा और ग्राम करमा का पिछले दो दशकों के निरिक्षण मे हमेसा किसी चयनित एक प्रत्याशी को बहुमत देते आया है अतः अब इस बार यह देखना होगा की ग्राम करमा के मतदाता अपना आशीर्वाद किस प्रत्याशी को प्रदान करता है जहाँ अनिल सोनवानी पूर्व सरपंच रह चुके है तथा वर्तमान मे क्षेत्र मे विभिन्न विकास कार्य और कार्यक्रम से अपनी दावेदारी जनपद हेतु बीजेपी मे मजबूत करते दिखाई दे रहे है तो वही शेखर नारंग अपने दस वर्षो की क्षेत्रीय राजनीती मे अपना अनुभव चुनावी रणनीति बनाकर भिन्न- भिन्न समाजिक संगठनों मे बैठक कर एवं युवाओ से चर्चा कर रहे है तो राजू मांडले सोशल मिडिया और आस पास के युवाओ से जुड़े हुए है और अपनी पुनः दावेदारी साबित करने मे लगे हुए हैतथा पिछले कमियों को पूरा करने मे समय व्यतीत कर रहे है उन्हें अपने पिताजी का अनुभव का भी फायदा मिलेगा वही कांग्रेस के युवा नेता गुरुचरण मिरी भी अपने संगठन मे सक्रियता बनाये हुए है और मौके की तलाश मे है तो कई अन्य पूर्व प्रत्याशी और जनपद भी उचित सांत्वना और सहयोग कई राह देख रहे है भुतपूर्व जनपद भावदास लहरे अपने दावेदारी के संबंध मे असमंजस मे फंसे है क्योंकि उनका गृह ग्राम भैंसा अब इस क्षेत्र से कट चूका है अब देखना होगा आने वाला समय किसके लायक मैदान तैयार करता है और कौन कौन प्रत्याशी मैदान मे उतरते है और इस भीषण रन मे विजय पताका लहरा पाते है

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