भारत की नागरिकता हासिल कर फर्जी दस्तावेजों से जीता चुनाव, 6 महीने बाद भी कार्रवाई नहीं…
डेस्क। पश्चिम बंगाल में मालदा जिले में बांग्लादेशी नागरिक की गांव की प्रधान बनने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. गांव की मुखिया पर आरोप लगा है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत की नागरिकता हासिल कर पंचायत चुनाव जीती है. बताया जा रहा है कि रशीदाबाद की मुखिया लवली का खातून का असली नाम निसया शेख है. इस मामले का खुलासा लवली के खिलाफ चुनाव हारने वाली रेहाना सुल्ताना ने की है. रेहाना ने कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला दर्ज कराते हुए कोर्ट में लवली के बांग्लादेशी नागरिक होने का दस्तावेज पेश किए है. कोर्ट ने इस मामले में चांचल के एसडीओ को पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसे लेकर अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी सवालों के कठघरे में है.
मिली जानकारी के अनुसार लवली खातून पर आरोप है कि उनका असली नाम नसिया शेख बताया जा रहा है और वो बांग्लादेश की निवासी हैं. उनपर आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार किए. दस्तावेजों के मुताबिक, उनका वोटर कार्ड 2015 में और जन्म प्रमाण पत्र 2018 में जारी हुआ. लेकिन मामले की जांच में पता चला है कि दस्तावेजों में उनके पिता का नाम शेख मुस्तफा दर्ज है, जबकि असली नाम जमील बिस्वास है. इतना ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्ट्रार (NPR) में भी लवली का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.
गांव के कई लोगों ने लवली खातून के खिलाफ बयान दिया है. गांव के एक रियाज आलम नाम के युवक ने बताया कि लवली (नसिया) गांव की निवासी नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जिसे लवली का पिता बताया जा रहा है. वह उसके पिता नही है. बल्कि जिस शेख मुस्तफा को नसिया का पिता बनाया जा रहा है उसकी बेटी का नाम लवली नहीं है. गवाहों ने पंचायत में दस्तावेजों के साथ हेराफेरी और फर्जी हस्ताक्षरों की भी बात कही. वहीं लवली का ओबीसी प्रमाण पत्र भी फर्जी होने की बात सामने आई है.
इस मामले से तृणमूल कांग्रेस पर भी लवली को संरक्षण देने का आरोप लगाया जा रहा है. टीएमसी पर आरोप है कि नसिया को संरक्षण दिया, जिसकी वजह से वह पंचायत प्रमुख बन पाईं. अब 6 महीनें बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर स्थानीय लोगों और विपक्षी दल बीजेपी इस पर खुलकर सामने आते हुए कार्रवाई की मांग की है.