छत्तीसगढ़रायपुर

निजी कंपनी के फर्जी बिल बनाकर लाखों का घोटाला, सारे कागजात गुम, ऑनलाइन रिकॉर्ड निकालते हांफे जांच अधिकारी

रायपुर। उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में हुए लाखों के घोटाले की जांच दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। क्षेत्रीय कार्यालय के अपर संचालक के चंपकलाल देवांगन के डिजिटल हस्ताक्षर इस्तेमाल कर यहां के सहायक ग्रेड-2 कर्मचारी आकाश श्रीवास्तव द्वारा लाखों की हेरफेर की गई है। प्रथम दिन सोमवार को जांच में रूसा के कर्मचारी को क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ बताकर उसके नाम पर लाखों रूपए का वेतन  निकाले जाने की बात सामने आई थी। प्रथम दिवस जांच पूरी नहीं हो पाने के कारण दूसरे दिन भी जांच जारी रही। मंगलवार को कई गंभीर अनियमितताएं जांच में सामने आई हैं।

सूत्रों के अनुसार, कर्मचारी ने लेन-देन से संबंधित सभी दस्तावेज कार्यालय से गायब कर दिए हैं। वेतन भुगतान, वेंडर भुगतान सहित किसी भी तरह के भुगतान के कोई दस्तावेज क्षेत्रीय कार्यालय में नहीं मिले। इसके कारण जांच अधिकारियों को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी की राशि का ऑनलाइन ब्योरा निकालना पड़ा। इसके आधार पर ही जांच आगे बढ़ाई गई। दो सत्र 2023-24 और 2024-25 में गड़बड़ी की बात कही जा रही है। ऐसे में दो सत्रों का ब्योरा निकालने में जांच अधिकारी भी हांफ गए और सुबह से रात हो गई। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा भेजी गई दो सदस्यी जांच टीम में सहायक संचालक वित्त डीएस देवांगन और एकाउंटेंट आकाश दुबे शामिल रहे।

खर्च 7 हजार, बिल 2 लाख का
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कर्मचारी द्वारा एक निजी कंपनी का फर्जी बिल भी तैयार किया गया। इन कंपनी ने वास्तविक बिल 7 हजार रुपए का लगाया था। कंपनी का नाम, लोगो, जीएसटी नंबर आदि का इस्तेमाल करके एक फर्जी बिल बनाया और इसमें 2 लाख रुपए की राशि दर्ज कर उच्च शिक्षा विभाग को भुगतान के लिए प्रेषित किया। इसके अलावा पेट्रोल के बिल, बिजली बिल आदि में भी लाखों रूपए की हेरफेर अब तक कर्मचारी द्वारा की जाती रही। कर्मचारी अब भी अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित है। शुरुआती जांच में चीजें स्पष्ट होने के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है और ना ही थाने में सूचना दी गई है।

नौकरी दिलाने का देता था झांसा

उच्च शिक्षा विभाग के रायपुर क्षेत्रीय कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि आकाश श्रीवास्तव द्वारा कई लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया था। कई लोग उसे ढूंढते हुए दफ्तर भी आए थे। आरोपी का वेतन जिस अकाउंट में जाता है, उसके अतिरिक्त उसने एक अन्य बैंक अकाउंट इन देनदारियों के लिए खुलवाया था। पूरे प्रकरण के बाद उच्च शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। लंबे समय से चल रही गड़बड़ी अधिकारियों की पकड़ में कैसे नहीं आई, इसे लेकर प्रश्न-चिन्ह खड़ा हो गया है।

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