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CG Budget Session: सदन में फिर उठा जल जीवन मिशन मुद्दा, नेता प्रतिपक्ष महंत ने केंद्रांश राशि पर सरकार को घेरा, बोले- “कब तक पिछली सरकार को दोष देंगे”

रायपुर। विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान जल जीवन मिशन के तहत केंद्रांश राशि को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 2025 तक केंद्रांश के रूप में प्राप्त राशि की जानकारी मांगी और सवाल किया कि क्या राज्य को केंद्र से कम राशि मिल रही है।

इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि फरवरी 2024 तक केंद्रांश के रूप में 191.59 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जबकि राज्यांश के रूप में 187.12 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने जल जीवन मिशन की अवधि 2028 तक बढ़ा दी है और अब तक मिशन का 50-60% कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक 29,126 योजनाओं को स्वीकृति मिली है, 41 हजार से अधिक टैंक बनाए गए हैं, जबकि 5,908 टंकियों का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन इनमें से कई स्थानों पर पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है।

“पुरानी सरकार का ठीकरा कब तक फोड़ेंगे?” – महंत
नेता प्रतिपक्ष महंत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रांश और राज्यांश बराबर होना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि जल जीवन मिशन के तहत राज्य को 2,250 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन डबल इंजन सरकार ने यह राशि नहीं दी।

इस पर भाजपा विधायक राजेश मूणत ने पलटवार करते हुए कहा कि पिछली सरकार की नीतियों की वजह से ही यह समस्या खड़ी हुई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब सही निर्देश क्यों नहीं दिए गए?

“कब तक पिछली सरकार को दोष देंगे?”

महंत ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, “कब तक पिछली सरकार के नाम पर अपनी नाकामी छिपाते रहेंगे? अगर कोई गड़बड़ी हुई थी तो उसकी जांच कराइए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “पैसे नहीं मिलने के कारण ठेकेदार काम नहीं कर रहे हैं, जिससे जल जीवन मिशन की गति धीमी हो गई है और इसी वजह से केंद्र सरकार राशि जारी नहीं कर रही है।”

इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने जवाब दिया कि भुगतान एक सतत प्रक्रिया है और राशि की उपलब्धता के आधार पर भुगतान किया जाता है।

वहीं, विधायक धर्मजीत सिंह ने भी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “हर मुद्दे पर जांच की मांग करते हैं, और फिर ईडी-सीडी को लेकर जुलूस निकालते हैं।”

जल जीवन मिशन की प्रगति और फंडिंग को लेकर विधानसभा में हुए इस तीखे संवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि आने वाले समय में यह मुद्दा सियासी रूप से और गर्मा सकता है।

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