
बिलासपुर। सिम्स में इलाज के दौरान गर्भवती महिला के गर्भपात मामले पर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वास्थ्य सचिव से शपथ पत्र पर जवाब मांगा है और पूछा है कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई कर रही है। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगते हुए अगली सुनवाई की तारीख 2 अप्रैल तय की है।
क्या है मामला?
कोटा थाना क्षेत्र के करगीखुर्द निवासी गर्भवती महिला को पेट दर्द की शिकायत पर सिम्स में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उसे इंजेक्शन लगाया गया, जिसके बाद उसका पांच माह का गर्भपात हो गया। महिला के पति ने सिम्स पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया है।
बताया गया कि पहले महिला को कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था, जहां उसे दर्द निवारक इंजेक्शन और दवाएं दी गईं। रेफर पर्ची में गंभीर पेट दर्द का जिक्र था, जिसके बाद उसे सिम्स भेजा गया।
सिम्स प्रबंधन का पक्ष
सिम्स प्रशासन ने गर्भपात का कारण रक्त स्त्राव बताया है। कोटा स्वास्थ्य केंद्र की रेफर पर्ची में भी पेट दर्द और रक्त स्त्राव का उल्लेख किया गया था। सिम्स प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित कर दी है।
कोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा है। अब इस पर अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी, जिसमें सरकार की ओर से स्पष्टीकरण पेश किया जाएगा।