
तिल्दा। धरसीवां विधानसभा के मढ़ी स्थित गौरी गणेश इस्पात संयंत्र से उठते धुएं, धूल और डस्ट से ग्रामीण काफी परेशान हो चुके हैं। वहीं मशीनों के चलने से होने वाले शोर ने भी काफी परेशान कर दिया है। इन सबसे ज्यादा इन दिनों स्कूल में परीक्षा दिला रहे बच्चे हो रहे हैं।
अभी इन दिनों कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा चल रही है। कंपनी में लगे मशीनों के चलने से काफी शोर होता है, जो बच्चों की परीक्षा में खलल पैदा कर रही है। वहीं उड़ती धूल, धुएं और डस्ट के चलते बच्चों का सांस लेने भी मुश्किल कर दिया है। हालत यह है कि जहां बच्चे परीक्षा दे रहे हैं उस स्कूल के अंदर लगे कुर्सी-टेबल में भी धूल और डस्ट के परत जम रहे हैं हैं। कंपनी से निकलने वाली धूल और डस्ट स्कूल की खिड़कियों से अंदर परीक्षा दे रहे बच्चों को परेशान कर रही है। फैक्टी से निकलने वाले जहरीले धुएं से बच्चों को सांस लेने में भी दिक्कतों का सामाना करना पड़ रहा है।
बता दें कि मढ़ी के शासकीय हाईस्कूल से बिल्कुल सटा हुआ एक कारखाना चल रहा है। महीने भर पहले शुरू हुआ और अभी से धुएं की गुबार उठ रही है। यहां के चिमनी से निकल रहे जहरीला काला धुआं क्षेत्र के प्रदूषित कर रहा है। इससे स्कूली बच्चे भी अछूते नहीं। इन बच्चों को परीक्षा दिलाने में काफी परेशानी हो रही है। स्कूल की सारी खिड़कियां बंद करने के बाद भी कमरे के अंदर घुआ और इस्ट अपना कब्जा जमा रहा रहा।
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य ने बताया किए तेज आवाज और धूल से परेशानी हो रही है। इसी कारण कम्प्यूटर रूम में स्लाइडर लगवाना पड़ गया। कंपनी शुरू होने के पहले कंपनी वालों को बोला गया था कि धूल और आवाज से परेशानी होगी। तो वे स्लाइडर लगवाने की बात कहे थे पर अभी तक घ्यान नहीं दे रहे हैं। टेबल में हाथ रखते ही हाथ काला- काला हो जाता है। कपड़ा एक ही दिन में गंदा हो जाता है। अब पंच-सरपंच और समिति अध्यक्ष को बोलकर समस्या के समाधान के लिए बात रखेंगे।
बता दें की जब से क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र घोषित हुआ है तब से यहां कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है। बरतोरी, बहेसर, नकटी, मढ़ी, खपरी, खम्हरिया, रायखेड़ा में चल रहे कारखाने जहर उगल रहे हैं। फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं न केवल इंसान को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे आसपास के पेड़-पौधे और जीव जंतु पर भी प्रभाव डाल रहा है।
धूल, धुआं और डस्ट उगलने वाली फैक्टरियों पर कार्रवाई करने में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी नकारा साबित हो रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि फैक्ट्री के आसपास रह रहे लोग कह रहे हैं। चिमनियों से निकलने वाली जहरीले अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण को भी दूषित कर रहा है। इलाके के घरों में जब लोग सुबह उठते हैं तो छत और आंगन में काली परत नजर आती है। तालाबों में भी काली परत जमी रहती है। इसी काली डस्ट ने लोगों को बीमार करना भी शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर हो रहा है।
कंपनी तो चालू ही नहीं
गौरी गणेश इस्पात सुपरवाइजर पद पर रहने की बात करते हुए कंपनी के प्रमुख कौशिक ने बताया कि कंपनी अभी चालू नहीं हुई है तो फैक्ट्री में कोलाहल और धूल डस्ट से स्कूली बच्चों को परेशानी का सवाल ही नहीं उठता।