
सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्यपाल रमेन डेका के काफिले में शामिल एक फॉलो वाहन की टक्कर से 55 वर्षीय सुन्नी मझवार गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह दुर्भाग्यपूर्ण संयोग था कि वह अपने भाई के अंतिम संस्कार से लौट रही थीं। इलाज के दौरान अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में उनकी मृत्यु हो गई।
हादसे की पूरी घटना
यह दुर्घटना मैनपाट के उल्टापानी क्षेत्र में हुई, जब राज्यपाल रमेन डेका अपने काफिले के साथ पिकनिक स्पॉट से लौट रहे थे। काफिले की अंतिम गाड़ी (सफेद इनोवा) ने महिला को टक्कर मार दी। तत्काल राहत कार्य शुरू करते हुए, उन्हें पहले मैनपाट के कमलेश्वर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत नाजुक होने के कारण अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
दौरा रद्द, मगर कारण कुछ और?
इस घटना के बाद राज्यपाल रमेन डेका ने अपने सरगुजा प्रवास के शेष कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और रायपुर लौट गए। हालांकि, प्रशासन ने इसकी वजह “स्वास्थ्य कारण” बताया है, लेकिन हादसे के बाद अचानक लिया गया यह निर्णय कई सवाल खड़े कर रहा है?
शोक में डूबा परिवार, प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
सुन्नी मझवार का परिवार पहले ही अपने एक सदस्य को खो चुका था और इस हादसे ने उनके दुःख को और गहरा कर दिया। इस घटना ने प्रशासनिक
जवाबदेही को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं
- क्या काफिले में शामिल गाड़ियों की गति और सुरक्षा मानकों पर निगरानी थी?
- हादसे के बाद प्रशासन ने तत्काल राहत और न्याय सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए?
- क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी, या यह मामला भी केवल “दुर्घटना” के रूप में दर्ज होकर रह जाएगा?
प्रशासन और सरकार के लिए परीक्षा की घड़ी
यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सुरक्षा मानकों और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है। आम नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में संवेदनशीलता और पारदर्शिता दिखाते हुए न्याय दिलाने की दिशा में क्या कदम उठाता है, या यह मामला भी अन्य हादसों की तरह समय के साथ धुंधला पड़ जाएगा।