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दंतेवाड़ा में आबकारी विभाग की लापरवाही से फल-फूल रहा शराब कोचियों का अवैध कारोबार

हेमन्त कुमार साहू, 

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ सरकार पर उठ रहे सवाल दंतेवाड़ा जिला, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता था, आजकल एक अलग ही वजह से चर्चा में है। जिले के हर कोने में, शहरों से लेकर गांवों की गलियों तक, अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विदेशी और अंग्रेजी शराब की बोतलें कोचियों के जरिए आम लोगों तक पहुंच रही हैं, और यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यह सब आबकारी विभाग की नाक के नीचे कैसे हो रहा है? क्या विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, या फिर अधिकारियों की मिलीभगत से यह काला कारोबार फल-फूल रहा है? सूत्रों के हवाले से जो खुलासे सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। आइए, इस गंभीर मसले को बिंदुवार समझते हैं

शराब कोचियों का जाल पूरे जिले में फैला

दंतेवाड़ा के शहरों से लेकर गांवों की गलियों तक, शराब कोचियों ने अपना नेटवर्क इस कदर फैला लिया है कि विदेशी और अंग्रेजी शराब आसानी से उपलब्ध हो रही है। लोग हैरान हैं कि आखिर यह शराब इनके पास आती कहां से है?

सरकारी दुकानों में अनुपलब्ध ब्रांड कोचियों के पास मौजूद

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जो शराब ब्रांड सरकारी शराब दुकानों में उपलब्ध नहीं हैं, वही महंगे और विदेशी ब्रांड कोचियों के पास आसानी से मिल रहे हैं। यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी दुकानदार और कोचिए मिलकर इस अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं?

आबकारी विभाग की रहस्यमयी चुप्पी

जिला आबकारी विभाग की निष्क्रियता इस पूरे मामले को और संदिग्ध बना रही है। क्या विभाग को इस अवैध कारोबार की भनक नहीं है, या फिर अधिकारियों की शह पर यह खेल चल रहा है? स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिना ऊपरी संरक्षण के इतना बड़ा कारोबार संभव नहीं है।

शराब का काला कारोबार कहां से पनप रहा है?

विदेशी शराब की सप्लाई का स्रोत अब तक रहस्य बना हुआ है। क्या यह शराब अन्य राज्यों से तस्करी के जरिए आ रही है, या फिर सरकारी दुकानों से ही कोचियों तक पहुंचाई जा रही है? इस सवाल का जवाब न तो आबकारी विभाग दे रहा है और न ही सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठता दिख रहा है।

छत्तीसगढ़ सरकार की नीयत पर सवाल

दंतेवाड़ा ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में अवैध शराब का कारोबार बढ़ता जा रहा है। क्या छत्तीसगढ़ सरकार इस मसले पर आंखें मूंदे बैठी है? क्या सरकार कोचियों के खिलाफ कार्रवाई करने में दिलचस्पी नहीं रखती, या फिर इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल चल रहा है?

आम जनता पर पड़ रहा असर

अवैध शराब की बढ़ती बिक्री से न केवल युवा वर्ग नशे की चपेट में आ रहा है, बल्कि इससे सामाजिक बुराइयां भी बढ़ रही हैं। नकली और जहरीली शराब की आशंका से लोगों की जान जोखिम में है, लेकिन प्रशासन खामोश है।

आबकारी विभाग की जिम्मेदारी पर सवालिया निशान

आबकारी विभाग का मुख्य काम अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाना है, लेकिन दंतेवाड़ा में विभाग की लापरवाही साफ झलक रही है। क्या अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह धंधा इतने बड़े पैमाने पर चल सकता है?

सरकार से जवाब की मांग

जनता अब सरकार और आबकारी विभाग से जवाब मांग रही है। अगर सरकार इस कारोबार को रोकने में सक्षम नहीं है, तो इसका मतलब साफ है कि व्यवस्था में बड़ी खामियां हैं। क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई बड़ी कार्रवाई करेगी, या यह सिलसिला यू ही चलता रहेगा?

निष्कर्ष : दंतेवाड़ा में शराब कोचियों का अवैध कारोबार न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहा है। आबकारी विभाग की नाकामी और संदिग्ध भूमिका इस पूरे मामले को और गंभीर बना रही है। अब समय आ गया है कि सरकार इस काले कारोबार के खिलाफ सख्त कदम उठाए, वरना जनता का भरोसा व्यवस्था से उठता चला जाएगा। क्या सरकार और आबकारी विभाग इस चुनौती को स्वीकार करेंगे, या फिर यह सवाल अनुत्तरित रह जाएंगे? यह देखना बाकी है।

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