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पहली बार रख रही हैं, वट सावित्री का व्रत, तो रखें इन बातों का ध्यान…

नई दिल्ली। वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। इस व्रत में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, खासकर जब आप इस पहली बार यह व्रत रख रही हों। हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि पर वट सावित्री पूजा का व्रत रखा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार यह 26 मई, 2025 को मनाया जा रहा है, तो चलिए इस व्रत से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत सावित्री के समर्पण और पतिव्रत धर्म का प्रतीक है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। वहीं, इस दिन वट वृक्ष की पूजा का खास महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति पर आने वाले संकट दूर होते हैं और उन्हें लंबी आयु प्राप्त होती है।

वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री-

रक्षा सूत्र, कच्चा सूत, बरगद का फल, बांस का बना पंखा, कुमकुम, सिंदूर, फल, फूल, रोली, चंदन, अक्षत्, दीपक, गंध, इत्र, धूप , सुहाग सामग्री, सवा मीटर कपड़ा, बताशा, पान, सुपारी, वट सावित्री व्रत कथा की पुस्तक, पानी से भरा कलश, नारियल, मिठाई, मखाना, घर पर बने प्रसाद, भींगा चना, मूंगफली, पूड़ी, गुड़ आदि। इसी के साथ अगर वट वृक्ष आपके घर के आस-पास नहीं है, तो उसकी डाल कहीं से मंगवा लें।

पूजा विधि-

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए वस्त्र पहनें।
  • वट वृक्ष के नीचे सफाई करें और पूजा स्थल तैयार करें।
  • सावित्री और सत्यवान की पूजा करें, और वट वृक्ष को जल चढ़ाएं।
  • लाल धागे से वट वृक्ष को बांधें और 7 बार परिक्रमा करें।
  • व्रत कथा सुनें और आरती करें।
  • गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें और उनसे आशीर्वाद लें।

इन बातों का रखें ध्यान-

  • इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखें।
  • व्रत के दौरान सकारात्मक रहें और भगवान का ध्यान करें।
  • किसी के साथ गलत व्यवहार न करें।
  • घर के बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लें।
  • वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं सोलह शृंगार करें और लाल रंग के वस्त्र पहनें।
  • इस दिन महिलाएं तामसिक चीजों से पूरी तरह दूर रहें।
  • पति के साथ विवाद करने से बचें।

व्रत का समापन

  • व्रत का समापन अगले दिन सूर्योदय के बाद करें।
  • व्रत का समापन करते समय, अपने पति का आशीर्वाद लें और उन्हें प्रसाद खिलाएं।

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