छत्तीसगढ़रायपुर

भू माफियाओं को संरक्षण देने, जमीन की लूट को आसान बनाने सरकार ने किया है नामांतरण प्रक्रिया में परिवर्तन

  • ग्रामसभा और तहसीलदार के अधिकारों को बाईपास करके ऑटोमैटिक नामांतरण से आम जनता चिंतित
  • बिना किसी जांच के नामांतरण पूरा होने पर असली मालिक को बिना सूचना के ही जमीन से हाथ धोना पड़ेगा

रायपुर। नामांतरण का अधिकार उप पंजीयकों को दिए जाने और ऑटोमेटिक नामांतरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी तरह भू-माफियाओं के इशारे पर खेल रही है। सरकार के इस फैसले से आम जनता की जमीन पर खतरा बढ़ गया है। नामांकन की प्रक्रिया से संबंधित ग्रामसभा और तहसीलदार के अधिकारों को बाईपास करने से भू माफियाओं के द्वारा फर्जीवाड़ा करके जमीन हथियाने का खेल आसान हो जाएगा। नए नियम में बिना दावा आपत्ति के, बिना इस्तेहार प्रकाशन के, बिना नोटिस तामिल किए ही अब नामांतरण हो जायेगा। सवाल यह है कि ऐसे नामांतरण के पश्चात ऋण पुस्तिका किसके द्वारा प्रमाणित किया जाएगा? राजस्व अभिलेख का संधारण कौन करेगा? गलत नामांतरण पर सुनवाई कौन करेगा? क्योंकि पंजीयक के न्यायिक अधिकार नहीं होते। साय सरकार का फोकस आम जनता का हित नहीं बल्कि भू माफियाओं के अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने में है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि ऐसे अनेकों मामले सामने आए हैं जिसमें भू माफियाओं ने जमीन क्रेता को बताएं बिना ही बैंकों में कर्ज हेतु दर्ज जमीन या बंधक भूमि को बेच दिया और इस तरह की जमीन की रजिस्ट्री उप पंजीयन कार्यालय में हो भी जाती है लेकिन जब नामांतरण के लिए मामला तहसील और संबंधित ग्राम सभा तक पहुंचता है तो इस तरह की त्रुटियां/फर्जीवाड़े उजागर हो पाते है। अब जब नए आदेश के अनुसार उप पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री होते ही स्वतः नामांतरित हो जाएगा तो ऐसे फर्जीवाड़े को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा। यदि नए आदेश के मुताबिक बिना किसी जांच के नामांतरण पूरा हो जाता है, तो असली मालिक को बिना सूचना के ही जमीन से हाथ धोना पड़ेगा।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि नामांतरण से पहले जांच खत्म होने से संबंधित भूमि का पंजीयन करने मात्र से क्रेता के नाम पर चढ़ा दिया जा सकेगा, ऐसी जमीन भी बेच दी जा सकेंगी जिसके नामांतरण में रोक है। सरकारी भूमि, पट्टे की भूमि, आदिवासी की भूमि, कोटवारी भूमि, अवैध प्लाटिंग, अ हस्तांतरणी भूमि, शामिलात खाता की भूमि या मिसल से अधिक रकबे की भूमि को भी अब रजिस्ट्री करवाकर नामांतरण के दायरे में लाने का षडयंत्र रचा गया है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी की वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने साय सरकार ने नामांतरण का पूरा सिस्टम उप पंजीयकों के हाथ में सौंप दिया है। कोई तहसील जांच नहीं कर पाएगा, किसी ग्रामसभा के प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होगी, जमीन के असल मालिक को खबर तक नहीं होगी, कोई रुकावट नहीं होगा और भू माफियाओं को जमीन हड़पने का आसान रास्ता मिल जाएगा।

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