आरंगछत्तीसगढ़रायपुर

ग्रामीणों के सहयोग से सरपंच ने बदली कठिया गांव की तस्वीर, राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हो चुका है नामित

मोहन लाल साहू, 

आरंग। अगर मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो हर कार्य संभव हो सकता हैं, इसका ताजा उदाहरण देखना हो तो आप रायपुर जिले के विकासखंड आरंग के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कठिया (खौली )में जाकर देख सकते हैं, ग्राम वासियों के सहयोग से सरपंच ने स्वच्छ, सुंदर और आत्मनिर्भर ग्राम के रूप में विकसित कर दिया जिसका चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही हैं । ग्राम पंचायत कठिया ने ग्राम विकास योजना (जीपीडीपी )के अंतर्गत “स्वच्छ एवं हरित ग्राम” तथा “आत्मनिर्भर अधोसरंचना युक्त ग्राम” जैसे दो महत्वपूर्ण विषयों को अपने विकास का मूल आधार बनाया। इस दिशा में ग्राम वासियों जनप्रतिनिधियों तथा पंचायत पदाधिकारियों ने एकजुट होकर कार्य किया जिसके कारण राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित होने का मौका मिला ।

गुलाबी रंग बना सुंदरता का प्रतीक

ग्राम पंचायत कठिया की सुंदरता और समरसता का प्रतीक बना उसके विशेष रंग गुलाबी। अगर आप गांव के भ्रमण पर निकलेंगे तो प्राथमिक शाला, आंगनबाड़ी, मंदिर, सार्वजनिक चबूतरे, ग्राम पंचायत भवन, सार्वजनिक शौचालय, सामुदायिक भवन, सभी पक्की सड़क सहित सभी निर्माण कार्यों को एक ही रंग में रंग कर सौंदर्यीकरण का एक नया प्रतिमान स्थापित किया गया हैं। यह दृश्य न केवल आंखों को सुकून देता है बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गया है।

ग्रामीण एकता का मिलता है संदेश

कठिया गांव की कुल जनसंख्या 1523 है, पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी तालाबों की ग्रामीण खुद साफ सफाई कर पानी की समस्या दूर कर लिए है, यहां हर व्यक्ति अपने दायित्व के प्रति सजक है जिसके कारण अपनी जिम्मेदारी बखुबी से निभाते हैं, जैसे_ बच्चे स्वच्छता अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं, वहीं महिलाएं रसोई से लेकर सामाजिक आयोजनों तक सक्रिय भूमिका निभाती है और वृद्धजन अपनी परंपराओं और अनुभव से युवाओं का मार्गदर्शन करते हैं।

क्या कहती हैं सरपंच?

ग्राम पंचायत कठिया के सरपंच श्रीमती त्रिवेणी रूपेंद्र वर्मा बताती है कि हमने तय किया है कि कठिया को केवल एक गांव नहीं बल्कि एक आदर्श उदाहरण बनाना है, इसके लिए शासन के सभी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन, पारदर्शिता और सहभागिता सुनिश्चित की गई हैं। गांव ग्राम के उप सरपंच, सचिव और समस्त पंच भी इसी सोच के साथ सतत प्रयासरत है।

पिछले पंचवर्षीय में मेरे पति रूपेंद्र( पप्पू )वर्मा ने हर पात्र हितग्राहियों को राशन कार्ड, पेंशन, शौचालय, महतारी वंदन योजना जैसे शासन के सभी योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहें, वही आवश्यकता अनुसार विभिन्न निर्माण कार्यों और मूलभूत सुविधाओं पर भी फोकस किया जिसमें ग्रामीण जनों का भी पूर्ण सहयोग मिला, जिसके परिणाम स्वरूप आज हमारे गांव राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित हुआ। जनसुनवाई, ग्राम सभा और निगरानी समिति का नियमित बैठकों ने विकास प्रक्रिया को लोकतांत्रिक और सहभागिता पूर्ण बनाया है।

कठिया विकास मॉडल बनी प्रेरणा

अब कठिया के विकास मॉडल को देखने और अपनाने के लिए अन्य पंचायत से भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी यहां का भ्रमण कर रहे हैं, कठिया की यह यात्रा बताती है कि सरकारी योजनाओं का प्रभारी क्रियान्वयन, सामाजिक सहभागिता और नेतृत्व की दूरदर्शिता ने मिलकर किसी भी गांव को नहीं ऊंचाई दे सकते है।

रोशनी से जगमगाता हुआ कठिया

जब शाम को गलियों में निकले तो गलियों की साफ सफाई, उच्च क्वालिटी का बड़ा-बड़ा स्ट्रीट लाइट, गुलाबी रंगों से रंगा सार्वजनिक भवन एवं पंचायत दिल को अलग ही सुकून देता है। वही 20_20 लाख का सुविधा युक्त वर्मा एवं सतनाम भवन ग्रामीणों की सुविधा के लिए आवश्यकता अनुसार उपलब्ध है। वर्तमान में चौक चौराहों के लिए 5_ 5 लाख का सोलर हाई मास्क लाइट का कार्य प्रगतिरत है, इसके पूर्ण होने से गांव और रोशनी से जगमगा उठेगी।

सरपंचों के लिए सीख

जब भी चुनाव आता है प्रत्याशी बड़ी-बड़ी बातें करके चुनाव जीत जाते हैं, लेकिन इच्छा शक्ति की कमी होने कारण जिस स्तर का गांव में विकास होना चाहिए या जो मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है , उन सरपंचों को कठिया गांव का एक बार भ्रमण जरूर करना चाहिए और एक प्रेरणा लेकर अपने गांव के विकास के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हो चुका है नामित

ग्रामीणों के सहयोग से सरपंच ने जो गांव के विकास के लिए एक नया आयाम गढ़ने का प्रयास के साथ-साथ नवाचार किया, उसका व्यापक प्रभाव इतना हुआ कि कठिया को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित किया गया। हालांकि तकनीकी त्रुटियां के चलते अंतिम चयन नहीं हो सका, किंतु यह नामांकन ही गांव के नेक कार्यों की स्वीकृति का प्रमाण है।

क्या कहते हैं अधिकारी

कठिया अब केवल एक गांव नहीं बल्कि एक विचार बन चुका है, स्वच्छता का विचार, आत्मनिर्भरता का विचार और साझा विकास का विचार। यदि देश के हर गांव में कठिया जैसी इच्छा शक्ति जागे, तो संपूर्ण भारत में एक दिन ग्राम स्वराज की सच्ची परिकल्पना को साकार कर सकता है।

डॉ गौरव सिंह
कलेक्टर रायपुर

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