
दुर्ग। 1 मई 2025 को मजदूर दिवस के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की परंपरागत भोजन शैली के प्रतीक बोरे-बासी को महत्त्व देते हुए भिलाई के सेक्टर-5 स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में भिलाई नगर निगम के महापौर नीरज पाल, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर सहित पार्टी के अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
भूपेश बघेल ने कार्यक्रम में बोरे-बासी, आम का अचार, टमाटर की चटनी और भाजी का स्वाद लेकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सजीव किया। उन्होंने कहा 1 मई को हम मजदूर दिवस के रूप में मनाते हैं। जब हम सरकार में थे, तब हमने यह परंपरा शुरू की थी कि इस दिन श्रमिकों के सम्मान में बोरे-बासी तिहार मनाया जाए। यह न केवल हमारी परंपरा को सहेजता है, बल्कि श्रमिकों के साथ हमारे जुड़ाव को भी दर्शाता है।
इस अवसर पर उन्होंने केंद्र सरकार पर जाति जनगणना को लेकर तीखा प्रहार भी किया। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना की मांग सबसे पहले राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्तर पर उठाई थी, ताकि देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं की सही तस्वीर सामने लाई जा सके। जातिगत आंकड़े स्पष्ट करेंगे कि किस वर्ग की आबादी कितनी है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है, उन्होंने कहा। भूपेश बघेल ने यह भी कहा कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित रखना एक कृत्रिम व्यवस्था है, जिसे खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने निजी संस्थानों में भी अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिए जाने की वकालत की। उन्होंने यह मांग भी उठाई कि जाति जनगणना के फॉर्मेट में यह उल्लेख होना चाहिए कि कितने लोग कॉरपोरेट सेक्टर में कार्यरत हैं, ताकि सामाजिक न्याय की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कभी प्रधानमंत्री कहते थे कि देश में केवल चार जातियां हैं, लेकिन राहुल गांधी के अभियान के दबाव में अब सरकार को जाति जनगणना की ओर झुकना पड़ा है।
इसके साथ ही भूपेश बघेल ने पाकिस्तान में फंसे बीएसएफ जवान के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार इस मामले में गंभीर नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर भारत सरकार को उच्च स्तरीय वार्ता करनी चाहिए और जवान को सुरक्षित भारत लाने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ प्रयास करने चाहिए।