गुरु का राशि परिवर्तन (15 मई 2025) जाने आज से आपकी राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव जानिए एस्ट्रोलाजर (एस्ट्रोसेज) पंडित गिरीश पाण्डेय से

नवग्रह में देवगुरु बृहस्पति का स्थान विशेष माना गया है। पाराशर ज्योतिष में सबसे शुभ ग्रह बृहस्पति को ही कहा गया है। देवगुरु बृहस्पति की दृष्टि होती है पंचम, सप्तम और नवम और उनकी दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है देवगुरु बृहस्पति उसे भाव के फलों में वृद्धि कर देते हैं। अब तक देवगुरु वृष राशि में गोचर कर रहे थे जिसके स्वामी दैत्य गुरु शुक्र हैं अब 15 मई 2025 की अल सुबह 2:30 पर मिथुन राशि में आ गए हैं।
बृहस्पति का गोचर एक राशि में 13 महीनों के लिए होता है। नौ ग्रहों में शनि के बाद बृहस्पति का एक राशि में रहने का समय सबसे अधिक है। बृहस्पति की आधिपत्य की राशियां हैं धनु और मीन। देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में उच्च के होते हैं जबकि मकर राशि में यह नीच के हो जाते हैं। बृहस्पति अनुकूल हो तो जातक को दांपत्य जीवन एवं संतान का सुख प्राप्त होता है। देवगुरु बृहस्पति जातक को उच्च पद प्रदान करते हैं।
वर्ष 2025 में बृहस्पति मई के महीने में मिथुन राशि में आ रहे हैं जबकि अक्टूबर में 19 अक्टूबर को मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में जाएंगे जो की उनकी उच्च राशि है। कर्क राशि में 11 नवंबर 2025 को गुरु वक्री हो जाएंगे और 4 दिसंबर को पुनः वक्री अवस्था में ही मिथुन में प्रवेश करेंगे। 12 जून को बृहस्पति अस्त अवस्था में चले जाएंगे जिससे मांगलिक कार्य विवाह आदि रुक जाएंगे। 5 जुलाई को गुरू पुनः उदित अवस्था में आएंगे।
चुंकि देवगुरु मिथुन राशि में आ रहे हैं इसलिए सबसे अनुकूल फल इसी राशि की के जातकों को मिलेगा। गुरु यहीं से तुला राशि धनु राशि और कुंभ राशि पर अपनी दृष्टि डालेंगे जिससे न केवल इन तीन राशियों को बल्कि अन्य द्वादश राशियों को भी शुभ अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे।
नैसर्गिक रूप से गुरु महाराज मनुष्य के जीवन में अनुकूलता और शुभता देने वाले हैं। गुरु की अनुकूलता जातक को धर्म अध्यात्म और परंपरागत मान्यताओं से जोड़ती है। गुरु महाराज हमें शिक्षा देते हैं कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत है। आइए जानें बृहस्पति गोचर 2025 का द्वादश राशियों पर क्या प्रभाव रहेगा और गुरु की अनुकूलता के लिए हमें क्या उपाय करने चाहिए –
मेष राशि-
मेष राशि के लिए गुरु भाग्य स्थान और व्यय स्थान के स्वामी है। इनका गोचर आपके तीसरे भाव में हो रहा है। जिससे आपके अंदर काम को टालने की प्रवृत्ति जग सकती है। इसलिए आलस्य को त्यागें। जी तोड़ मेहनत करें। इस समय आप धार्मिक यात्राओं पर जा सकते हैं। तीसरे भाव में गोचर होने से भाई बहनों से संबंध प्रगाढ़ होंगे। देवगुरु की दृष्टि सप्तम नवम और एकादश भाव में पड़ने से बिजनेस में प्रॉफिट बढ़ेगा। लव लाइफ और मैरिड लाइफ में चल रही समस्याओं का अंत हो जाएगा। 19 अक्टूबर को जब देवगुरु कर्क राशि में जाएंगे परिवार में मांगलिक कार्यों का संभावनाएं बढ़ जाएंगी। दिसंबर में पारिवारिक जीवन में तनाव रह सकता है। कार्य क्षेत्र में भी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए आप सावधान रहें।
वृष राशि-
वृष राशि के जातकों के लिए देवगुरु आठवें और 11 में भाव के स्वामी होते हैं। यह आपके दूसरे भाव पर प्रवेश करेंगे। बृहस्पति का प्रभाव आपकी वाणी में दिखेगा। लोग आपकी बातों को गंभीरता से लेंगे। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। लेकिन बचत करने में दिक्कत होगी। पारिवारिक व्यवसाय वाले जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होंगे। अक्टूबर के महीने में धार्मिक यात्राओं का योग बन रहा है।दिसंबर के महीने में वाणी के कारण फंस सकते हैं। पारिवारिक जीवन कष्टमय हो सकता है।
मिथुन राशि-
मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सप्तमेश और दशमेश हैं।मिथुन राशि के जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति का गोचर अपनी ही राशि में हो रहा है। यहां से देवगुरु आपके पंचम ,सप्तम और नवम भाव को देखेंगे जिससे संतान से संबंधित शुभ समाचार प्राप्त होंगे। अगर संतान के लिए प्रयास कर रहे हैं तो सफलता मिलेगी। संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है। शिक्षा में अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। यदि विवाह नहीं हुआ है कि विवाह की भी योग बन रहे हैं। कार्य व्यापार में जोरदार सफलता मिलेगी। अक्टूबर महीने में दूसरे भाव में जाकर के गुरु महाराज धन संबंधित समस्याओं का अंत कर देंगे। कार्यों में विशेष सफलता दिलाएंगे। दिसंबर महीने में वक्री अवस्था में पुनः बृहस्पति का मिथुन राशि में आगमन स्वास्थ्य समस्या दे सकता है। व्यापार में ऊपर चढ़ाव देख सकते हैं।
कर्क राशि-
कर्क राशि के जातकों के छठे भाव और नवम भाव के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। कर्क राशि के लिए गुरु का गोचर 12वें घर में हो रहा है।देवगुरु बृहस्पति आपका धन शुभ कार्यों में लगाएंगे। पूजा- पाठ धार्मिक यात्राएं, अच्छे कार्य इस समय में आप करेंगे। इस समय आपको सम्मान व यश की प्राप्ति होगी। विदेश यात्रा के लिए प्रयास कर रहे हैं तो सफलता मिल सकती है। सुख साधनों की वृद्धि होगी। पारिवारिक जीवन सुखमय बीतेगा। अक्टूबर में आपका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर रहेगा। चौतरफा सफलता प्राप्त करेंगे।दिसंबर में वक्री अवस्था में बृहस्पति द्वादश भाव में आएंगे। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
सिंह राशि –
सिंह राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज का गोचर एकादश भाव में हो रहा है। यह आपके पंचम व अष्टम भाव के स्वामी हैं। गुरु का गोचर आपके लिए शानदार है आपके लिए धन प्राप्ति सरल हो जाएगी। यह समय आपका सफलता का होगा। गुरु महाराज की दृष्टि आपके तीसरे ,पांचवें और सातवें भाव पर रहेगी जिससे विवाहित लोगों के विवाह का योग बनेगा। यदि आप संतान की इच्छा रखते हैं तो आपकी इच्छा पूरी हो सकती है। भाई- बहनों से भी संबंध मधुर रहेंगे। अक्टूबर में द्वादश भाव में गुरु महाराज के आने से शारीरिक कष्ट हो सकता है। दिसंबर में जब वक्री होकर के एकादश भाव में आएंगे तो धन के लिए आपके प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत होगी।
कन्या राशि –
कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज का गोचर दसवें भाव में हो रहा है जिसके कारण कार्य क्षेत्र में कुछ कठिनाइयों का दौर सामने आएगा। ओवर कॉन्फिडेंस के कारण से आपके काम अटक सकते हैं। धैर्य रखकर कार्य करेंगे तो अच्छा रहेगा। बृहस्पति महाराज आपके दूसरे चौथे और छठे भाव को देख रहे हैं जिससे आपका धन प्राप्ति के लिए प्रयास में गति आएगी। पारिवारिक जीवन सुखमय बीतेगा। अक्टूबर के महीने में जब गुरु आपकी 11 में भाव में प्रविष्ट होंगे तो आपकी आर्थिक स्थिति स्ट्रांग हो जाएगी। वैवाहिक संबंध में मधुरता आएगी। संतान का सुख प्राप्त होगा। दिसंबर के महीने में कार्यक्षेत्र में अधिक मेहनत करने की जरूरत रहेगी।
तुला राशि-
तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और सातवें भाव के मालिक हैं। यह राशि से नवम भाव में गोचर कर रहे हैं। नवम भाव में गोचर करने के कारण आपकी धार्मिकता में बढ़ोतरी होगी। धार्मिक यात्राएं करेंगे। जितना प्रयास आप करेंगे उससे ज्यादा आपको सफलता प्राप्त होगी।बृहस्पति महाराज की दृष्टि आपके प्रथम भाव तृतीय भाव और पंचम भाव पर होगी जिससे आपको हायर एजुकेशन में अनुकूल फल मिलेंगे। संतान प्राप्ति के योग हैं। अक्टूबर में कर्म भाव में बृहस्पति के गोचर होने से आपको ओवर कॉन्फिडेंस से बचने की सलाह दी जाती है। वक्री अवस्था में गुरु दिसंबर के महीने में आपके भाग्य स्थान में प्रविष्ट होंगे तब कार्यों में अड़चन आ सकती है। पिताजी के स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है।
वृश्चिक राशि –
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति द्वितीय धनभाव और पंचम संतान भाव के मालिक हैं। देवगुरु का गोचर आपकी राशि से अष्टम भाव में हो रहा है इसी कारण से आपको सावधानियां बरतनी होगी।बिजनेस में बनता हुआ काम बिगड़ सकता है। आप ईश्वर से,अध्यात्म से जुड़कर अच्छा महसूस करेंगे। स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान रखें। गुरु महाराज की दृष्टि आपके राशि से दूसरे और चौथे भाव पर होगी जिससे कुछ अशुभ समाचार मिल सकते हैं।अक्टूबर में गुरु महाराज भाग्य भाव में जाएंगे। भाग्य मजबूत होगा और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। नौकरी पेशा लोगों को प्रमोशन मिल सकता है। दिसंबर में पुनः जब गुरु महाराज अष्टम में आएंगे उस समय स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना जरूरी होगा।
धनु राशि –
धनु राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज राशि स्वामी हैं और सुख भाव के भी स्वामी हैं। इनका गोचर सातवें घर में होगा यह समय आपके वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल रहेगा। पारस्परिक प्रेम बढ़ेगा। बिजनेस में लाभ होगा। प्रॉपर्टी से संबंधित योजनाएं सफल होगी।डिसीजन मेकिंग पावर बढ़ेगी। अक्टूबर महीने में अष्टम भाव में आकर गुरु आपको पूर्ण रहस्यों की जानकारी देंगे। आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त होगी। दिसंबर में पुनः सप्तम भाव में जब वक्री अवस्था में आएंगे तो मैरिड लाइफ प्रभावित होगा। आपसी तालमेल गड़बड़ हो सकता है। जॉब, वर्क और बिजनेस प्रभावित रहेगा।
मकर राशि –
मकर राशि के लोगों के लिए बृहस्पति का गोचर छठवें भाव में होगा। इस दौरान आपको विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। आपके लिए गुरु महाराज तीसरे और 12 वें भाव के स्वामी हैं। इस गोचर के दौरान स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें।कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। व्यापार बढ़ेगा। इस दौरान आप पूर्ण मनोयोग से कार्य करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी। अक्टूबर में बृहस्पति जैसे ही सप्तम भाव में आएंगे पहले से चली हुई चली आ रही समस्याओं से निजात मिलेगी। अविवाहित जातकों के विवाह का योग बनेगा। डिसीजन मेकिंग पावर बढ़ेगी। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। दिसंबर में वक्री अवस्था में बृहस्पति फिर से आपके स्वास्थ्य की चिंता बढ़ा सकते हैं।
कुंभ राशि –
कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज का गोचर पंचम भाव में हो रहा है जिससे आर्थिक समृद्धि का रास्ता खुल जाएगा। इच्छाओं की पूर्ति होगी। आत्मविश्वास सातवें आसमान पर रहेगा। नौकरी पेशा लोगों को मनचाहे जगह पर तबादला मिल जाएगा। बृहस्पति महाराज की दृष्टि नवें भाव, ग्यारहवें भाव और पहले भाव पर रहेगी जिससे आपका व्यवहार धार्मिक बना रहेगा। शिक्षा और उच्च शिक्षा में सक्सेस मिलेगा। खूब धन कमाएंगे। डिसीजन मेकिंग पावर शानदार रहेगी। अक्टूबर महीने में छठे भाव में गुरु का गोचर स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। विशेष ध्यान रखें। वक्री अवस्था में ही दिसंबर के महीने में गुरु का गोचर पंचम भाव में जब होगा तो आपको आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा। स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा। कार्य व्यापार में भी उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं।
मीन राशि –
गुरु महाराज आपकी राशि के स्वामी हैं तथा आपके कर्म भाव के भी मालिक हैं। गुरु का गोचर आपकी राशि से चौथे भाव में हो रहा है।गुरु के गोचर से पारिवारिक जीवन में उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा। कार्य क्षेत्र में अद्भुत सफलता प्राप्त करेंगे। इस दौरान आप खूब मेहनत करेंगे जिसका लाभ आपको मिलेगा। बृहस्पति चतुर्थ भाव में बैठकर आपका आठवें ,दसवें और 12वें भाव को देखेंगे जिससे आपके व्यय में वृद्धि होगी। इस दौरान आप खूब यात्राएं करेंगे। अक्टूबर के महीने में पंचम भाव में बृहस्पति का गोचर आर्थिक समृद्धि देने वाला होगा। वक्री होकर के दिसंबर में चौथे भाव में जब गुरु आएंगे तो कुछ समस्याएं दे सकते हैं। पारिवारिक जीवन भी इस दौरान कष्टमय रहेगा। बिजनेस में भी मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी।
उपाय :-
1. नियमित रूप से केसर युक्त चंदन का तिलक लगाएं।
2. गुरुवार के दिन का व्रत करें।
3. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
4. गुरु के वैदिक मंत्र का 19000 जप किसी विद्वान ब्राह्मण से कराएं।
5. गुरुवार के दिन केले के वृक्ष का पूजन करें।
6. गुरुवार को रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
7. पुखराज या सुनैहला धारण करें।
🌟 गुरु महाराज की कृपा आप सभी पर बनी रहे🌟
पं. गिरीश पाण्डेय
एस्ट्रो-गुरू, भागवत-व्यास
सचिव पुरोहित मंच
ज़िला- महासमुन्द छ.ग.
संपर्क सूत्र – 7000217167
संकट मोचन मंदिर
मण्डी परिसर, पिथौरा