
राशन वितरण व्यवस्था में नई मशीन भी नहीं लाई राहत, 35% उपभोक्ताओं को ही मिल सका अनाज
गरियाबंद। बारिश के पहले तीन माह का राशन एक साथ बांटने की सरकार की मंशा पर अमल करना जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है। जून के 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जिले के केवल 35 प्रतिशत उपभोक्ताओं को ही राशन मिल पाया है। 5 जून से शुरू हुए वितरण में 2 लाख 14 हजार 309 उपभोक्ताओं में से महज 75 हजार 818 को ही अनाज दिया जा सका है।
तेजी लाने के लिए प्रशासन ने 18 जून को सभी 358 राशन दुकानों में नई एल-1 फास्ट प्रोसेसिंग स्कैनर मशीनें पहुंचा दीं। दावा था कि ये मशीनें वितरण की प्रक्रिया को रफ्तार देंगी, लेकिन ये भी कोई चमत्कार नहीं कर सकीं। गुरुवार को पूरे जिले में सिर्फ 5,199 उपभोक्ताओं को ही राशन मिल सका — यानी कुल का सिर्फ 2.46 प्रतिशत। अब अगले 10 दिन में शेष 1 लाख 33 हजार 274 उपभोक्ताओं तक अनाज पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
नया सिस्टम, वही पुरानी परेशानी
सहायक जिला खाद्य अधिकारी का कहना है, “नई मशीन एल-1 स्कैनर पहले से कहीं ज्यादा तेज है। यह मोबाइल साइज की है और 4जी नेटवर्क पर काम करती है। इससे अंगूठे के निशान की स्कैनिंग जल्दी होती है और वितरण प्रक्रिया तेज होगी।”
लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। देवभोग के सेल्समैन ने बताया, “नई मशीन से भी काम की रफ्तार नहीं बढ़ी। 6 घंटे में सिर्फ 33 उपभोक्ताओं को ही राशन दिया जा सका। नेटवर्क सही हो तब भी एक उपभोक्ता की प्रक्रिया में 15 से 20 मिनट लग जाते हैं। नेटवर्क नहीं होने पर घंटों लगते हैं।”
उपभोक्ताओं की बेबसी
राशन दुकानों पर लगातार आ रहे ग्रामीण और महिलाएं अब थक चुके हैं। एक महिला ने कहा, “घर का काम छोड़कर रोज आ रहे हैं, फिर भी राशन नहीं मिल रहा। यह काम अब टेढ़ी खीर हो गया है।”
ब्लॉकवार वितरण की स्थिति
•फिंगेश्वर: 1,684 उपभोक्ता
•मैनपुर: 976 उपभोक्ता
•गरियाबंद: 899 उपभोक्ता
•देवभोग: 836 उपभोक्ता
•छुरा: 794 उपभोक्ता
अब सवाल यह है कि प्रशासन अगले 10 दिन में इस चुनौती को कैसे पार करेगा?