
ASI रमेश यादव पर गंभीर आरोप: 7 साल से एक ही थाने में जमे, कबाड़ियों से गहरे संबंध
रायपुर। राजधानी के खमतराई थाना में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक (ASI) रमेश यादव पर कार्यप्रणाली और स्थानांतरण नीति को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। पुलिस विभाग में आमतौर पर 3 वर्ष के भीतर स्थानांतरण की परंपरा रही है, लेकिन रमेश यादव बीते सात वर्षों से एक ही थाने में जमे हुए हैं, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन माना जा रहा है।
रातों को थाने से बाहर, मैनुअल का उल्लंघन
सूत्रों का दावा है कि ASI रमेश यादव लगातार थाने के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भिलाई और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं। पुलिस मैनुअल के अनुसार, बिना वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के थाना क्षेत्र से बाहर जाना प्रतिबंधित है। मगर उनके इस नियमभंग पर किसी स्तर से कोई आपत्ति नहीं ली जा रही, जिससे सवाल खड़े हो रहे हैं।
कबाड़ियों और चखना सेंटरों से संपर्क, ठेका सिस्टम जैसे हालात
स्थानीय नागरिकों और पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार, खमतराई थाना के अंतर्गत वसूली और साठगांठ का एक समानांतर ढांचा काम कर रहा है। आरोप है कि रमेश यादव कबाड़ी बाजार, चखना सेंटर और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों से सीधे संपर्क में रहते हैं। उन्हें “मैनेजमेंट” के नाम पर संरक्षण देने और वसूली में हिस्सेदारी जैसे आरोप भी लग रहे हैं।
कई थानों में पहचान, TI तक करते हैं ‘सलाम’
सूत्र बताते हैं कि तिल्दा, धरसींवा, उरला ,आमानाका और दुर्ग-भिलाई क्षेत्रों के कबाड़ियों के साथ रमेश यादव के गहरे संबंध हैं। यहां तक कि इन क्षेत्रों के थाना प्रभारियों (TI) तक उन्हें देखकर ‘बड़े साहब’ कहकर संबोधित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वे खुद को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं का करीबी बताकर प्रभाव जमाते हैं।
थाने में अपराध मामलों में नाम नहीं, केवल हाजिरी
थाने के दस्तावेजों और कर्मचारियों के अनुसार, रमेश यादव को कभी भी किसी गंभीर अपराध के विवेचना या न्यायालय में चालान पेश करने का दायित्व नहीं सौंपा गया है। उनका रोल अधिकांशतः थाने में केवल बसूली करने का है ये आज तक न दिवस अधिकारी न ही रात्रि अधिकारी के रूप में कार्य किए है
7 साल से एक ही थाने में, कबाड़ी नेटवर्क में रुचि
प्रमोशन के बाद जहां अधिकतर पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण होता है, वहीं रमेश यादव पिछले 7 वर्षों से खमतराई थाने में लगातार तैनात हैं। इस दौरान वे ललित (दुर्ग), राजेश, पप्पू और राजू जैसे कबाड़ी कारोबारियों के संपर्क में अधिक देखे गए हैं।