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नलवा की गुपचुप जनसुनवाई की तैयारी, ग्रामीणों ने चेताया जनसुनवाई हुई तो हो सकती है बड़ी अनहोनी

नलवा की गुपचुप जनसुनवाई की तैयारी, ग्रामीणों ने चेताया जनसुनवाई हुई तो हो सकती है बड़ी अनहोनी

  • ग्रामीणों का आरोप कई जनप्रतिनिधि कर रहे कंपनी की दलाली, घर मे सरपंचो को बुलाया जा रहा
  • कंपनी की जनसुनवाई के दिन करेंगे सामूहिक आत्मदाह: पीड़ित किसान
  • नलवा सीमेंट लिमिटेड के माइनिंग प्रोजेक्ट से ग्रामीण जीवन हो सकता है प्रभावित
  • 25 मई को प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश , उद्योग समर्थित जनप्रतिनिधि चिंतित
  • दो बार विरोध के बाद स्थगित हो चुकी है जनसुनवाई

तिल्दा। खरोरा समीप ग्राम पचरी, छड़ियां, मंधईपुर, आलेसुर में विकास के नाम पर प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। नलवा सीमेंट द्वारा मंधईपुर में प्रस्तावित लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट के कारण स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है। इस परियोजना के चलते गांव का वातावरण प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है, जिससे न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में कमी आएगी, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।

ऐसे विकास कार्यों के कारण स्थानीय निवासियों के लिए पेयजल की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। लगातार भूजल स्तर में गिरावट आ रही है और साथ ही पानी की गुणवत्ता भी बिगड़ रही है। इसके चलते ग्रामीणों को साफ और सुरक्षित पेयजल प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई से न केवल जैव विविधता को नुकसान होगा, बल्कि यह क्षेत्र की पारिस्थितिकी को भी गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।

इस परियोजना के आसपास प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित एकल सड़क है, जो खराब स्थिति में जाने की प्रबल संभावना है। खदान की गाड़ियां लगातार इस सड़क पर सरपट दौड़ेगी। इसके कारण सड़क खराब होने से आवागमन में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसका प्रभाव ग्रामीणों के दैनिक जीवन में सीधा पड़ेगा। ग्रामीणों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। यह आवश्यक है कि स्थानीय समुदाय की आवाज को सुना जाए और उनके हितों की रक्षा की जाए।

उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट के कारण ग्रामीणों में चिंता की लहर व्याप्त है। लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट के संभावित प्रभावों को लेकर गांव के निवासियों में एक निरंतर भय और असुरक्षा की भावना बनी हुई है, क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि उनके प्रिय गांव का वातावरण गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में सोचते हुए, ग्रामीणों का मन अशांत है और वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

पचरी का तालाब, मुक्तिधाम, गौठान, चारागाह जमीन सब होगी नलवा की

नलवा द्वारा पचरी पंचायत में प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपी गई है उस अनुसार पचरी पंचायत अंतर्गत आने वाले तालाब जिससे सैकड़ों किसानों को निस्तारी का साधन है वह भी नलवा के कब्जे में आ जाएगा , वहीं मुक्तिधाम जहां सैकड़ों मठ आज भी मौजूद है वहां नलवा स्थापित होने के बाद गड्ढे दिखाई देंगे जिससे ग्रामीणों की आस्था जुड़ी हुई है ,वहीं पशुओं के चारागाह के लिए जमीन भी आरक्षित है वह भी नलवा के कब्जे में आ जाएगी ।

दो बार विरोध के कारण स्थगित हो चुकी है जनसुनवाई

नलवा सीमेंट की जनसुनवाई पूर्व में 29 नवंबर 2024 को फिर 20 जून को आयोजित की जाने वाली थी वहीं पचरी सरपंच अभिषेक वर्मा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया था जिसके बाद जनसुनवाई को स्थगित कर दिया गया था ।

वहीं इस संदर्भ में पचरी सरपंच व तिल्दा जनपद के सरपंच संघ अध्यक्ष अभिषेक वर्मा ने कहा कि गांव में दस वर्ष पहले लोग रात भर जागकर दूसरे गांव जाकर पानी लाते थे वहीं इन दस सालों में हमने पानी की व्यवस्था को मजबूत किया है और पानी की समस्या खत्म होने के कगार पर है अगर नलवा स्थापित होता है तो गांव का वाटरलेवल फिर गिर जाएगा और जैसे आज खरोरा जैसे बड़े नगर में समस्या है वह समस्या गांव में उत्पन होगी उसके साथ ही मुक्तिधाम और तालाब भी नष्ट हो जाएंगे । चंद पैसों के लिए मैं गांव का सौदा नहीं कर सकता और आरबीआई ने अभी तक ऐसा कोई नोट नहीं छापा जो अभिषेक वर्मा को खरीद सके , अपनी पूर्ण क्षमता के साथ नलवा का विरोध किया जायेगा और पत्थर खदान लगने नहीं देंगे ।

वहीं नलवा के राजेंद्र चौरसिया ने कहा – विरोध पर कोई नहीं है, अगर कोई विरोध कर रहा है तो बताइये मै उनसे मिल लूंगा।

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