सपनों को मिला नया आसमान: सुकमा की बेटियाँ बनीं मिसाल, AM/NS इंडिया की स्कॉलरशिप ने बदली ज़िंदगी की दिशा

सपनों को मिला नया आसमान: सुकमा की बेटियाँ बनीं मिसाल, AM/NS इंडिया की स्कॉलरशिप ने बदली ज़िंदगी की दिशा
सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुदूर और शांत अंचल सुकमा के कुम्हारास गांव की कच्ची गलियों में उम्मीद ने एक नया रंग लिया — जहाँ मिट्टी से सने पाँवों और सपनों से भरी आँखों के साथ दो बहनों, नीलोटी नाग और मुरोटी नाग ने वो कर दिखाया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
एक मां, जो खुद कभी स्कूल की चौखट भी न लांघ सकी, लेकिन दिल में यह ठान लिया था — “मेरी बेटियाँ ज़रूर पढ़ेंगी, चाहे जैसे भी हालात हों।” अस्पताल में सफाईकर्मी के रूप में काम करते हुए दिन-रात मेहनत कर उन्होंने अपनी बेटियों को पढ़ाने का संकल्प निभाया। आर्थिक तंगी, सामाजिक दबाव और संसाधनों की कमी कभी उनकी राह में दीवार तो बनी, लेकिन कभी मंज़िल से हौसले नहीं डिगे।
नीलोटी और मुरोटी ने बारहवीं तक की पढ़ाई किसी तरह पूरी तो कर ली, लेकिन आगे का रास्ता धुंधला था — जब तक कि AM/NS इंडिया की ‘बेटी पढ़ाओ स्कॉलरशिप’ उनकी ज़िंदगी में रोशनी बनकर नहीं आई। यह महज़ आर्थिक सहायता नहीं थी — यह उनकी उम्मीदों की उड़ान थी, जिसने उन्हें नये आकाश से जोड़ा।
AM/NS इंडिया, देश के अग्रणी स्टील निर्माता, ने CSR पहल के अंतर्गत Protean eGov Technologies के साथ मिलकर ‘विद्यासारथी’ पोर्टल के माध्यम से इस योजना को घर-घर तक पहुँचाया है। इस स्कॉलरशिप ने नीलोटी को कॉलेज की डिग्री की ओर पहला कदम रखने का साहस दिया, वहीं मुरोटी ने ITI में तकनीकी शिक्षा की राह चुनी। आज दोनों बहनें अपने जीवन की दिशा तय कर रही हैं — आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान और आत्मबल के साथ।
उनकी यात्रा हर उस बेटी के लिए एक रौशनी की किरण है, जो संसाधनों की कमी के कारण सपनों को अधूरा छोड़ देती है। ये बहनें आज सिर्फ पढ़ाई नहीं कर रहीं — वे एक नई सोच, एक नया संदेश दे रही हैं — “अगर हमें मौका मिले, तो हम भी सितारों को छू सकते हैं।”
‘बेटी पढ़ाओ स्कॉलरशिप’ केवल एक आर्थिक योजना नहीं, यह ग्रामीण भारत की उस छुपी हुई प्रतिभा को पहचानने और उसे पंख देने का नाम है। यह साबित करता है कि अगर किसी लड़की को सही दिशा और समय पर सहयोग मिल जाए, तो वह न केवल अपने परिवार की, बल्कि पूरे समाज की तक़दीर बदल सकती है।