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लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है हल्दी की गोलियां, आइए जानें…

लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है हल्दी की गोलियां, आइए जानें…

नई दिल्ली। हाल ही में अमेरिका से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई, जिसमें एक 57 साल की महिला को सिर्फ हल्दी के सप्लीमेंट लेने के कारण लिवर डैमेज हो गया. महिला ने सूजन और इंफ्लेमेशन कम करने के लिए रोजाना हल्दी की गोली खाना शुरू की थी. ऐसे में कुछ ही हफ्तों में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी. चेहरा पीला पड़ गया, पेशाब का रंग गाढ़ा हो गया और थकान लगातार बनी रही.

जब जांच हुई तो पता चला कि उसके लिवर एंज़ाइम सामान्य से 60 गुना ज्यादा हैं, जो लिवर फेलियर के एकदम करीब की स्थिति होती है. डॉक्टरों के मुताबिक, महिला ने हल्दी की तय मात्रा से कहीं ज्यादा डोज ले ली थी, जिससे उसके लिवर पर भारी असर पड़ा. इलाज के बाद महिला की हालत में सुधार आया, लेकिन यह घटना इस बात का चेतावनी संकेत है कि नेचुरल चीजें भी ज्यादा मात्रा में नुकसानदायक हो सकती हैं.

हल्दी में मौजूद एक्टिव तत्व कर्क्यूमिन शरीर में सूजन को कम करता है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है. लेकिन जब इसे ज्यादा मात्रा में सप्लीमेंट के रूप में लिया जाए, तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है. यही वजह है कि शरीर इसे पूरी तरह प्रोसेस नहीं कर पाता और इसका सीधा असर लीवर पर होता है. कर्क्यूमिन का ओवरडोज लिवर के सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे हेपेटाइटिस जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है. इस केस में महिला रोजाना लगभग 2,250 मिलीग्राम हल्दी सप्लीमेंट ले रही थी, जो कि सुरक्षित मात्रा से दो गुना अधिक है. इससे उसके लिवर एंज़ाइम काफी बढ़ गए और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. सामान्य खाने में हल्दी की मात्रा कम होती है, इसलिए असर धीमा और सुरक्षित होता है, लेकिन गाढ़े सप्लीमेंट्स का सीधा प्रभाव अंगों पर पड़ सकता है, खासकर अगर बिना डॉक्टर की सलाह के लिया जाए.

कितनी मात्रा में हल्दी का सेवन सही है?
हल्दी भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है और आमतौर पर यह शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती है. लेकिन जब बात आती है सप्लीमेंट्स की, तो इसकी मात्रा को लेकर सतर्क रहना जरूरी है. Harvard Health और कई अन्य हेल्थ रिसर्च संस्थानों के अनुसार, कर्क्यूमिन की सुरक्षित मात्रा 500 से 1,000 मिलीग्राम प्रतिदिन मानी जाती है. इससे अधिक डोज लेने पर शरीर पर इसका नेगेटिव असर हो सकता है, खासकर लिवर, किडनी और पाचन तंत्र पर.

खाने में हल्दी का उपयोग करने पर यह मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए यह फायदेमंद रहती है. लेकिन जो सप्लीमेंट्स बाजार में आते हैं, उनमें कर्क्यूमिन की मात्रा 9095% तक हो सकती है और कई बार इन्हें काली मिर्च या दूसरे बायोएन्हांसर्स के साथ दिया जाता है, जिससे ये शरीर में ज्यादा तेजी से एब्जॉर्ब होते हैं और यही तेजी नुकसानदेह हो सकती है.

इसलिए, हल्दी को सप्लीमेंट के रूप में लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, और लेबल पर बताई गई मात्रा का पालन करें. बिना जरूरत के सिर्फ ट्रेंड या सोशल मीडिया पर देखकर किसी भी हर्बल दवा का सेवन ना करें.

इन चीजों का रखें ध्यान

  • किसी भी सप्लीमेंट को लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.
  • सप्लीमेंट के लेबल पर दी गई सामग्री और मात्रा को ध्यान से पढ़ें.
  • हल्दी के साथ अगर “पिपरिन” या “ब्लैक पेपर एक्सट्रैक्ट” हो, तो उसकी एब्जॉर्प्शन क्षमता ज्यादा होती है. ऐसे में अधिक सतर्क रहें.
  • अगर आपको पीलिया, थकावट, भूख न लगना या गाढ़ा पेशाब जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत जांच करवाएं.
  • घरेलू हल्दी सुरक्षित है, लेकिन फिर भी जरूरत से ज्यादा सेवन करने से बचें.
  • सिर्फ सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर कोई भी सप्लीमेंट लेना शुरू न करें.

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