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कोविड जांच केंद्र के जैविक कचरे का अवैज्ञानिक निपटान अभी तक नही – सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा

कोविड जांच केंद्र के जैविक कचरे का अवैज्ञानिक निपटान अभी तक नही – सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा

रायपुर। अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग के प्रदेश महासचिव प्रदुमन शर्मा को मिली सूचना के आधार पर जांच के दौरान जिला अंतर्गत मुख्य चिकित्सा भवन परिसर के पीछे तहसील कार्यालय परिसर में कोविड-19 काल में उपयोग की गई टेस्टिंग किट, दवाइयाँ, इंजेक्शन, वीटीएम ट्यूब, मार्किंग बॉक्स इत्यादि जैविक चिकित्सा अपशिष्ट (Bio-medical Waste) को खुले में बिना किसी वैज्ञानिक प्रक्रिया के फेंका जाना सामने आया है।

दिनांक 17 जुलाई 2025 को आयोग की टीम पूर्वी भारत जोन जनसंपर्क अधिकारी अज़ीम खान, प्रदेश महासचिव प्रदुमन शर्मा एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी अफरोज ख्वाजा द्वारा स्थल निरीक्षण किया गया व इस दौरान साक्ष्य के रूप में फ़ोटो एवं वीडियो बनाये गए व लिए गए फोटोग्राफिक साक्ष्य एवं लोकेशन डेटा से यह पुष्टि हुई है कि उपरोक्त भवन परिसर में जैविक कचरे का निपटान अबतक नही किया गया है एवं लापरवाहीपूर्वक खुले में पड़ा हुआ है,मानवाधिकार आयोग का कहना है यह न केवल बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय दंड संहिता की धारा 269, 270 एवं 336 के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध भी है।

मौके पर पाए गए तथ्य:

• कोविड महामारी के समय उपयोग में लाई गई टेस्टिंग किट, दवाइयां, प्लास्टिक बॉक्स एवं अन्य चिकित्सा सामग्री खुले में पड़ी पाई गई।

• इनमें कई वस्तुएं रक्त युक्त एवं संभावित संक्रमणकारी अवस्था में थीं।

आयोग के पदाधिकारियों ने कहा कि परिसर में आमजन, अधिकारी, कर्मी, व मरीजों की नियमित आवाजाही होती है, जिससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है। साथ ही आज कोविड को गए लगभग 5 वर्ष हो गए लेकिन अबतक ये वेस्ट यही पड़ा है जोकि बेहद ही गंभीर बात है ।

इन तमाम बातों को लेकर आयोग की टीम आज जिला स्वास्थ्य अधिकारी से मुलाकात करने कार्यालय पहुची जहां अधिकारी से मुलाकात नही हो पाई जिसकी वजह से लिखित शिकायत स्वास्थ्य कार्यालय में ही उपस्थित नोडल अधिकारी को सौप आई ।

आयोग की मांग:

1. स्वास्थ्य विभाग की विशेषज्ञ टीम द्वारा तत्काल स्थल का निरीक्षण कर वैज्ञानिक निपटान सुनिश्चित किया जाए।

2. जिम्मेदार अधिकारियों की विभागीय जांच की जाए।

3. भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों, इसके लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

4. निरीक्षण एवं कार्यवाही के समय अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।

यह लापरवाही न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि स्वास्थ्य आपदा को न्योता देने जैसा गंभीर कृत्य है। मामले की गंभीरता को देख आयोग ने अपनी शिकायत पर शीघ्र कार्रवाई की बात की है।

शिकायत के दौरान पूर्वी भारत जोन के जनसंपर्क अधिकारी अज़ीम खान , प्रदेश महासचिव प्रदुमन शर्मा सहित प्रदेश मीडिया प्रभारी अफरोज ख्वाजा मौजूद रहे ।

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