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मुरूम माफिया का मसीहा कौन? रातों-रात खनन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर करोड़ों का खेल”

मुरूम माफिया का मसीहा कौन? रातों-रात खनन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर करोड़ों का खेल”

रायपुर। खनिज संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ में मुरूम माफिया का तांडव अब खुलकर सामने आने लगा है। सूत्रों के अनुसार, बलराम सोनवानी नामक व्यक्ति, जो स्वयं को बीजेपी का जिला कोऑर्डिनेटर बताता है, पिछले कुछ महीनों से खुलेआम रातों-रात भारी मात्रा में मुरूम की अवैध खुदाई करवा रहा है।

चौंकाने वाली बात यह है कि रात के अंधेरे में 100 से अधिक गुंडों और दर्जनों लग्ज़री गाड़ियों के साथ यह माफिया बिना किसी डर के प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर यह खेल खेलता रहा।

प्रशासन और विभाग क्यों मौन?

माइनिंग विभाग, खाद्य विभाग और NRDA जैसे विभाग जहां छोटे-छोटे मामलों में बड़ी कार्यवाही करने निकलते हैं, वहीं इतना बड़ा मुरूम घोटाला उनके सामने हो रहा है और वे मूक दर्शक बने हुए हैं। क्या यह किसी दबाव या ‘आशीर्वाद’ का नतीजा है?

रात में ही चोरी क्यों?

प्रश्न यह उठता है कि आखिर मुरूम की चोरी दिनदहाड़े क्यों नहीं होती? क्या रात का अंधेरा सुरक्षा देता है? क्या यह एक सुनियोजित साजिश है जिसमें विभागीय मिलीभगत शामिल है?

पत्रकारों को धमकी क्यों?

सबसे चौंकाने वाला और लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला पहलू तब सामने आया जब इस घोटाले की जानकारी जुटा रहे पत्रकारों को न सिर्फ ‘दलाल’ कहा गया, बल्कि उन्हें पुलिस कार्यवाही और जान से मारने की धमकी तक दी गई। क्या बलराम सोनवानी जैसे लोग छत्तीसगढ़ में ‘मुकेश चंद्राकर’ जैसे और मामले को दोहराने की तैयारी कर रहे हैं?

कौन है बलराम सोनवानी का रक्षक?

अगर बलराम सोनवानी बीजेपी कोऑर्डिनेटर है, तो आखिर किस नेता का संरक्षण उसे प्राप्त है? कौन-सा जनप्रतिनिधि उसे संरक्षण दे रहा है कि वह पूरी सरकारी व्यवस्था की गोद में बैठकर ऐसा घोटाला करने में सक्षम है?

जवाब चाहिए: कुछ कड़े सवाल प्रशासन से

1. रात में अवैध मुरूम परिवहन क्यों?

2. ट्रकों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती?

3. बलराम सोनवानी के संरक्षणदाता कौन हैं?

4. क्या प्रशासन पत्रकारों को सुरक्षा देने में विफल है?

5. अगर कार्रवाई नहीं होती, तो क्या आने वाले समय में और पत्रकारों की हत्या होगी?

अब देर नहीं: दोषियों पर हो सख़्त कार्यवाही

यह मामला सिर्फ खनिज चोरी का नहीं, बल्कि लोकतंत्र, पत्रकारिता और प्रशासन की जवाबदेही का है। प्रशासन यदि अब भी चुप बैठा रहा, तो यह साफ संकेत होगा कि भ्रष्टाचार और गुंडाराज को शासन की छाया प्राप्त है।

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