
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के लच्छनपुर गांव के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के नाम पर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां मध्यान्ह भोजन के दौरान आवारा कुत्तों द्वारा जूठा किया गया खाना 84 बच्चों को परोस दिया गया। शिकायत के बावजूद बच्चों की बात अनसुनी कर दी गई और जब मामला बढ़ा तो दबाव में आकर बच्चों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई।
इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से कड़ा जवाब मांगा है। मीडिया रिपोर्ट्स को जनहित याचिका मानते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने स्कूल शिक्षा सचिव को चार बिंदुओं पर शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह महज लापरवाही नहीं, बच्चों की जान को सीधा खतरे में डालने का आपराधिक कृत्य है।
कोर्ट ने जताई तीखी नाराजगी, पूछा- बच्चों की गरिमा का सम्मान कब?
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा— “छात्रों को परोसा जाने वाला भोजन केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि यह गरिमा और सुरक्षा के साथ होना चाहिए। बच्चों को कुत्ते का जूठा भोजन खिलाना अमानवीयता की पराकाष्ठा है। एक बार रेबीज हो जाए तो उसका इलाज संभव नहीं है। यह घटना प्रशासनिक विफलता का सीधा उदाहरण है।”
शिक्षक और महिला समूह पर क्या कार्रवाई हुई? अगली सुनवाई 19 अगस्त को
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार शिक्षक व महिला समूह पर क्या कार्रवाई की गई है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार क्या कदम उठाने जा रही है। मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 29 जुलाई का है जब बलौदाबाजार के पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर गांव के शासकीय स्कूल में मध्यान्ह भोजन तैयार किया गया था। इस दौरान भोजन को खुले में रखा गया और आवारा कुत्तों ने उसे जूठा कर दिया। इसके बावजूद छात्रों को वही खाना परोस दिया गया। जब बच्चों ने विरोध किया तो उनकी आवाज दबा दी गई। बाद में परिजनों की शिकायत पर 78 बच्चों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई।