
सिंचाई पानी प्रबंधन के लिये श्रमिक नहीं, किसानों के रहमोकरम पर निर्भर है सिंचाई व रखरखाव…
रायपुर। महानदी जलाशय परियोजना के गंगरेल बांध से छोड़े जा रहे सिंचाई पानी के प्रबंधन के लिये एक भी श्रमिक नहीं है। कार्यरत लगभग सभी 12 सौ श्रमिक सेवानिवृत हो चूके हैं और मस्टररोल पर नियुक्ति को शासन ने सन् 1996- 1997 से बंद कर रखा है। इसके चलते सिंचाई पानी का प्रभावी प्रबंधन नहीं हो पा रहा और प्रबंधन व रखरखाव किसानों के रहमोकरम पर निर्भर रह गया है।
समस्या के मद्देनजर रायपुर जिला जल उपभोक्ता संस्था संघ के अध्यक्ष रहे भूपेंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह व महानदी जलाशय परियोजना के मुख्य अभियंता शंकर ठाकुर को ज्ञापन भेज श्रमिकों की नियुक्ति की मांग करते हुये सुझाव दिया है कि फौरी तौर पर प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत नियुक्ति की जा सकती है।
मेल से प्रेषित ज्ञापन में जानकारी दी गयी है कि गंगरेल से निकले नहर की पूर्ण क्षमता के करीब पानी छोड़े जाने के बाद भी कमांड क्षेत्र के अंतिम छोर के ग्रामों में पानी नहीं पहुंच पाने की शिकायत है जिसकी वजह नहरों से निकले वितरकों माइनरों व आउटलेटों का श्रमिकों के अभाव में रखरखाव न हो पाना व सिंचाई पानी का प्रभावी प्रबंधन न हो पाना है । इस साल कमांड क्षेत्र के ग्रामों में खंडवृष्टि के चलते सिंचाई पानी के प्रबंधन में और अधिक दिक्कत होने की जानकारी देते हुये उन्होंने लिखा है कि खंडवृष्टि वाले इलाकों में फिलहाल सिंचाई पानी की फौरी आवश्यकता न होने के बाद भी वितरक प्रणालियों के गेटों का सामयिक उपयोग न होने से पानी व्यर्थ जा रहा है और इन क्षेत्रों के किसान भी पानी बचाने के प्रति उदासीन हैं। गंगरेल के कमांड क्षेत्र के ग्रामों के किसानों द्वारा अभी तक अकाल की विभीषिका न झेलने के चलते पानी की महत्ता न समझने के कारण पनपे इस प्रवृत्ति को दोषी ठहराते हुये ज्ञापन में लिखा गया है कि बरसात के भरोसे खेती करने वाले किसान पानी के एक एक बूंद की महत्ता समझते हैं। रखरखाव व प्रबंधन के लिये विभागीय मद से राशि स्वीकृत करा अथवा रोजगार गारंटी योजना के तहत राशि आबंटित करा तत्काल पर्याप्त श्रमिकों की नियुक्ति की मांग की गयी है। ज्ञापन की प्रति मुख्य सचिव अमिताभ जैन को भी प्रेषित की गयी है।