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Ganesh Chaturthi 2025: भूलकर भी न देखें आज रात का चांद, भयंकर दोष से बचने के लिए तुरंत करें ये उपाय…

Ganesh Chaturthi 2025: भूलकर भी न देखें आज रात का चांद, भयंकर दोष से बचने के लिए तुरंत करें ये उपाय…

Ganesh Chaturthi 2025: आज देशभर में गणेश चतुर्थी का महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. आज, 27 अगस्त 2025, बुधवार के दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत हो गई है.

घरों और पंडालों में ‘गणपति बप्पा मोरया के जयकारे गूंज रहे हैं.भक्त अपने प्यारे विघ्नहर्ता की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना में लीन हैं. लेकिन इस भक्ति और उल्लास के बीच एक ऐसी प्राचीन मान्यता है जिसका पालन आज रात विशेष रूप से किया जाता है – और वह है चंद्रमा के दर्शन न करना.

माना जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी आज की रात चांद देखने से व्यक्ति पर ‘मिथ्या दोष’ या ‘कलंक’ लगता है, जिसका अर्थ है कि उस पर कोई ऐसा झूठा आरोप लगता है जो उसने किया ही नहीं. इसी कारण इस चतुर्थी को ‘कलंक चतुर्थी’ भी कहा जाता है.

विस्तार से जानें पौराणिक कथा: क्यों दिया गणेश जी ने चंद्र देव को श्राप?

यह कथा पुराणों में वर्णित है. एक बार, भगवान गणेश अपने पसंदीदा मोदक और लड्डू का भरपेट भोग लगाकर रात के समय अपने वाहन मूषक पर सवार होकर भ्रमण कर रहे थे. उनका पेट लड्डुओं से भरा हुआ था. जब वे जा रहे थे, तो उनके मूषक ने रास्ते में एक सांप देख लिया और भय के मारे उछल पड़ा. इस अचानक हुई हलचल से गणेश जी का संतुलन बिगड़ा और वे धरती पर गिर पड़े. गिरने के कारण उनके पेट पर दबाव पड़ा और उनका पेट फट गया, जिससे सारे लड्डू बाहर बिखर गए. गणेश जी तुरंत उठे और सारे लड्डू वापस अपने पेट में रखकर एक सांप को पकड़कर अपनी कमर पर बांध लिया.

आकाश में विचर रहे चंद्र देव यह पूरा दृश्य देख रहे थे. गणेश जी के इस स्वरूप को देखकर वे अपनी हँसी रोक नहीं पाए और अहंकारवश जोर-जोर से हँसने लगे. उन्होंने गणेश जी के पेट, सूंड और उनके गिरने का उपहास किया.

अपना उपहास होते देख बाल गणेश अत्यंत क्रोधित हो गए. उन्होंने चंद्र देव से कहा, “अरे चंद्र! तुम्हें अपने रूप और शीतलता पर इतना घमंड है कि तुम दूसरों की पीड़ा देखकर उनका मजाक उड़ा रहे हो. मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि आज से तुम क्षय हो जाओगे, तुम्हारा रूप काला पड़ जाएगा और तुम्हारी सारी कलाएं नष्ट हो जाएंगी. जो भी व्यक्ति आज की तिथि पर तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर भी तुम्हारी तरह ही कलंक लगेगा और उसे समाज में अपमानित होना पड़ेगा.”

श्राप के प्रभाव से चंद्र देव तुरंत काले पड़ने लगे और उनकी रोशनी खत्म होने लगी. भयभीत होकर उन्होंने और अन्य सभी देवताओं ने भगवान गणेश से क्षमा याचना की. तब गणेश जी ने प्रसन्न होकर कहा कि श्राप पूरी तरह वापस तो नहीं हो सकता, लेकिन वे इसका प्रभाव सीमित कर सकते हैं. उन्होंने वरदान दिया कि महीने के 15 दिन चंद्रमा की कलाएं घटेंगी (कृष्ण पक्ष) और 15 दिन बढ़ेंगी (शुक्ल पक्ष). लेकिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन का श्राप हमेशा याद रखा जाएगा और इस दिन तुम्हारे दर्शन करने वाले को झूठे कलंक का भागी बनना पड़ेगा.

क्या है आज रात चांद न देखने का वर्जित समय? 

पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि कल यानी 26 अगस्त की दोपहर से ही शुरू हो गई थी, लेकिन उदय तिथि के अनुसार पर्व आज मनाया जा रहा है. आज रात चंद्रमा के दर्शन करना वर्जित है.

  • वर्जित समय: आज सुबह 09:15 AM से रात 09:28 PM तक चंद्रमा के दर्शन करना अशुभ माना गया है. (कृपया ध्यान दें कि यह समय अलग-अलग शहरों में थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन सूर्यास्त के बाद विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.)

अगर आज गलती से चांद दिख जाए तो क्या हैं उपाय?

यदि अनजाने में आज रात आपसे चाँद दिख भी जाए, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है. शास्त्रों में इस दोष से निवारण के लिए कुछ अचूक उपाय बताए गए हैं:

  1. स्यमंतक मणि की कथा सुनें या पढ़ें: सबसे प्रमुख उपाय भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी स्यमंतक मणि की कथा को सुनना या पढ़ना है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने भी इस दिन चांद देख लिया था, जिसके बाद उन पर मणि चुराने का झूठा आरोप लगा था. बाद में उन्होंने जब अपनी निर्दोषिता साबित की, तब जाकर वे इस कलंक से मुक्त हुए. इस कथा के श्रवण मात्र से चंद्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है.
  2. इस अचूक मंत्र का जाप करें: यदि कथा पढ़ना संभव न हो तो इस सरल मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. यह मंत्र उसी कथा का सार है:सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः.सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
    • अर्थ: “सिंह ने प्रसेन को मारा और उसी सिंह को जाम्बवान ने मारा. हे सुकुमार बालक! अब तुम रोओ मत, यह स्यमंतक मणि तुम्हारी ही है.”
  3. फल या दही का दान: मान्यता है कि मीठे फल या दही-शहद किसी जरूरतमंद को दान करने से भी दोष का प्रभाव कम होता है.

आज इस पावन पर्व पर गणपति बप्पा की भक्ति में लीन रहें और इस प्राचीन परंपरा का ध्यान रखते हुए चंद्र दर्शन से बचें.

 

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