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CG ब्रेकिंग: प्रदेश में 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी की सिरप देने पर बैन, सभी जिलों में जारी किया निर्देश…

CG ब्रेकिंग: प्रदेश में 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी की सिरप देने पर बैन, सभी जिलों में जारी किया निर्देश…

रायपुर। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप मामले में कई बच्चों की मौत होने के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कफ सिरप देने पर बैन लगा दिया है। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने तत्परता से कार्यवाही करते हुए सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) तथा सिविल सर्जनों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं।

सभी शासकीय और निजी स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि भारत सरकार की इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें। बता दें कि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ से अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना को लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक हलचल मची हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने रविवार को कफ सिरप से मौत के मामलों को लेकर राज्यों से हाईलेवल मीटिंग की।

उस दौरान उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि दवा बनाने के नियम का पालन करवाएं। बैठक में तय हुआ कि 19 दवा कंपनियों की स्पेशल जांच होगी, निगरानी बढ़ाई जाएगी और राज्यों के बीच मदद और जानकारी का आदान-प्रदान मजबूत होगा। डॉ. राजीव बहल ने कहा कि बच्चों को बिना जरूरत खांसी का सिरप नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इनके फायदे कम और खतरे ज्यादा होते हैं। इसके बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार ने दो साल तक के बच्चों के लिए खासी की सिरप पर बैन लगा दिया है।

कड़ी निगरानी में है औषधि आपूर्ति प्रणाली

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (सीजीएमएससी) से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन दो कंपनियों के विरुद्ध अन्य राज्यों में कार्रवाई की गई है, उनकी राज्य में किसी भी प्रकार की सरकारी आपूर्ति नहीं रही है। ये कंपनियाँ सीजीएमएससी के डेटाबेस में पंजीकृत भी नहीं हैं। यह तथ्य राज्य में सरकारी स्तर पर आपूर्ति शृंखला की पारदर्शिता और सतर्कता की पुष्टि करता है। छत्तीसगढ़ में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने भी निगरानी और कार्रवाई को तेज कर दिया है।

राज्यभर में औषध निर्माण इकाइयों का जोखिम-आधारित निरीक्षण (Risk-Based Inspection) करने के लिए औषधि निरीक्षकों के दल गठित किए गए हैं। प्रदेश के सभी सहायक औषधि नियंत्रकों और औषधि निरीक्षकों को पत्र जारी कर निर्देशित किया गया है कि वे सभी औषधि विक्रय संस्थानों का तत्काल निरीक्षण करें, ताकि एडवाइजरी के उल्लंघन की कोई संभावना न रहे। इसके साथ ही निजी फार्मेसियों का आकस्मिक निरीक्षण भी किया जा रहा है।

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