खरोराछत्तीसगढ़

आर एस एस ने माठ में किया पथ संचलन

आर एस एस ने माठ में किया पथ संचलन

रवि कुमार तिवारी, 

खरोरा। खरोरा के समीपस्थ ग्राम मांठ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर तिल्दा खंड के माठ मंडल का श्री विजयादशमी उत्सव एवं भव्य पथ संचलन ग्राम माठ में अत्यंत उत्साह एवं अनुशासन के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन संघ के शताब्दी वर्ष की दिशा में समाज संगठन, सेवा और राष्ट्र जागरण के उद्देश्य से किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला माठ के प्रांगण में शाखा लगने के बाद हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सत्यनारायण गुप्ता (संचालक हरगुन सोलर प्लांट) तथा मुख्य वक्ता त्रिभुवन नारायण (विभाग व्यवस्था प्रमुख, रायपुर विभाग) एवं देवेन्द्र ठाकुर जिला संघचालक के मार्गदर्शन से उपस्थित स्वयंसेवकों को प्रेरणादायी विचार प्राप्त हुए।

मुख्य वक्ता त्रिभुवन नारायण ने अपने उद्बोधन में संघ के प्रथम सरसंघचालक श्रद्धेय डॉ. हेडगेवार के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि —
“डॉ. हेडगेवार जी ने देश और समाज की दयनीय स्थिति को देखकर डॉक्टरी पेशे को त्याग दिया और देश की ‘बीमारी’ को दूर करने का संकल्प लिया। नागपुर में 17 स्वयंसेवकों के साथ विजयादशमी के पावन दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उन्होंने विभिन्न समाज प्रमुखों से संपर्क कर नये स्वयंसेवकों को जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया। यात्रा के साधन सीमित होने के बावजूद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्रसेवा में अर्पित कर दिया। आजीवन अविवाहित रहकर वे प्रचारक के रूप में समाज को एकता और संगठन का संदेश देते रहे। उनके अस्वस्थ होने पर श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) ने भारतवर्ष का सात बार भ्रमण कर संघ के कार्य को गति प्रदान की। गुरुजी ने बिना किसी साधन-संपन्नता के संघ को दो दशक तक सींचते हुए बीज रूपी संगठन को एक विशाल वटवृक्ष का स्वरूप दिया। 1940 से 1950 तक सामान्य रूप से संघ का विस्तार हुआ किंतु आगे विविध अनुसांगिक संगठनों का प्रादुर्भाव करते गए। विहिप,भाजपा विद्यार्थी परिषद,विद्या भारती जैसे अनेक संगठनों का विस्तार हुआ।

कार्यक्रम में मंडल के सैकड़ों स्वयंसेवकों ने गणवेशधारी अनुशासन और एकता का प्रदर्शन करते हुए भव्य पथ संचलन किया। संचलन के दौरान स्थानीय नागरिकों एवं मातृशक्तियों द्वारा पुष्प वर्षा कर अभिनंदन एवं उत्साह बढ़ाया गया साथ ही “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम्” एवं “जय श्रीराम” के नारे से सम्पूर्ण ग्राम वातावरण गूंज उठा।

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