
छत्तीसगढ़ की बाघिन ‘बिजली’ की वनतारा में मौत, गुजरात में इलाज के दौरान तोड़ा दम..
रायपुर। रायपुर जंगल सफारी की बाघिन ‘बिजली’ की गुजरात, जामनगर स्थित वनतारा में इलाज के दौरान मौत हो गई। वनतारा एडमिनिस्ट्रेशन ने शुक्रवार (10 अक्टूबर) को सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। छत्तीसगढ़ से भी पीसीसीएफ चीफ अरूण कुमार पांडेय ने भी इसे कन्फर्म किया है। पांडेय ने बताया जंगल सफारी के DFO और मेडिकल टीम बिजली की मौत की खबर मिलते ही जामनगर के लिए रवाना हुई है। बिजली का अंतिम संस्कार जामनगर में ही होगा।
बता दें कि बाघिन के यूट्रस-ओरल में इन्फेक्शन था। 3 दिन पहले 7 अक्टूबर को उसे बेहतर इलाज के लिए वनतारा वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू रिहेबलिटेशन सेंटर भेजा गया था, वह 9 अक्टूबर की रात गुजरात पहुंची थी।
जहां से आए थे पिता वहीं ली अंतिम सांस
9 साल पहले जब जंगल सफारी का उद्घाटन हुआ था। तब गुजरात से नर बाघ लाया गया था। इसका नाम शिवाजी रखा गया। इसी शिवाजी का पीएम मोदी ने तस्वीर ली थी। बिजली, शिवाजी की पहली शावक थी। जहां से पिता आए थे, बिजली ने भी वहीं अंतिम सांस ली।
10 दिन से खाना-पीना कर दिया बंद
बाघिन बिजली की उम्र 8 साल की थी। उसके यूट्रस-ओरल में इन्फेक्शन था। जंगल सफारी में पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी। बिजली ने पिछले 10 दिन से खाना-पीना बंद कर दिया था। बेहतर इलाज के लिए 4 दिन पहले ही उसे हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस से रवाना किया गया था।
सीजेडए से अनुमति मिलने में लग गए 10 दिन, इससे इलाज में देरी हुई
सीटी स्कैन में यूट्रस में इंफेक्शन की बात सामने आई तो इलाज के लिए वन विभाग ने वनतारा शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया। अनुमति के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को पत्र लिखा गया लेकिन अनुमति मिलने में 10 दिन लग गए। अनुमति मिलने पर बिजली को वनतारा जामनगर भेजा गया।
शुरुआत में उसकी बीमारी को गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल (पाचन तंत्र) के रूप में डाइग्नोज कर इलाज शुरू किया गया। बाद में हेमेटोलॉजिकल जांच और अल्ट्रासाउंड जांच में किडनी में इंफेक्शन के लक्षण मिले। इसके बाद वनतारा की एक विशेषज्ञ पशु चिकित्सा टीम को उन्नत जांच और इलाज के लिए बुलाया गया।
डॉक्टर बोले- पहले से कमजोर और बीमार थी
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के रिक्वेस्ट पर 5 अक्टूबर को वनतारा की टीम रायपुर पहुंची थी। वनतारा की टीम में बताया कि वह कमजोर और बीमार लग रही थी। बिजली के डाइजेशन में भी समस्या थी। अल्ट्रासाउंड और डायग्नोस्टिक टेस्ट के बाद यह सामने आया था कि उसकी किडनी सही तरीके से फंक्शन नहीं कर रही। इसके अलावा इसके अलावा गर्भाशय में भी संक्रमण मिला था। CZA से 6 अक्टूबर को अनुमति मिलने के बाद वनतारा के एडवांस सर्जिकल केयर में उसे शिफ्ट किया गया था।
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट ने उठाए सवाल
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने पूरे मामले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के ज्यादा नजदीक है और बाघ प्रदेश के नाम से भी इसे जाना जाता है। ऐसे में बिजली के इलाज के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों किया गया। जो मेडिकल कंडीशन उसके साथ थी उसे लिहाज से यह नहीं लगता कि रायपुर से जामनगर तक की दूरी तक उसे ट्रैवल करना चाहिए था।
जल्दी एक्शन लिया जाता तो बच जाती जान
ट्रैवल करने के कारण उसकी तबीयत और खराब हो गई होगी। मध्य प्रदेश से स्पेशल डॉक्टर की टीम को बुलाया जा सकता था। पूरे मामले पर जल्दी एक्शन लिया जाता उसकी जान बच सकती थी।