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बायोफ्लॉक तकनीक ने बदली किसान की किस्मत, हर साल कमा रहे दो लाख से अधिक मुनाफा

बायोफ्लॉक तकनीक ने बदली किसान की किस्मत, हर साल कमा रहे दो लाख से अधिक मुनाफा

अम्बिकापुर। अम्बिकापुर ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से आजीविका के नए अवसर खुल रहे हैं, जिससे ग्रामीण आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण वैज्ञानिक पद्धति से किया जा रहा है। तालाब में जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बायोफ्लॉक शीट, ऑक्सीजन मशीन, सबमर्सिबल पंप और जनरेटर जैसी आधुनिक सुविधाएं मिल रही है। इस तकनीक से मछलियों का विकास तेज़ी से होता है और उत्पादन अधिक मिलता है।

मछली पालन ऋण पर 60 प्रतिशत सब्सिडी
इसी योजना के तहत अम्बिकापुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कुल्हाड़ी निवासी मदन राम ने अपने खेत की 30 डिसमिल भूमि का सदुपयोग करते हुए बायोफ्लॉक तकनीक से तालाब बनाया है। तालाब को पूरी तरह बायोफ्लॉक शीट से ढंक दिया गया है, जिससे जल की गुणवत्ता एवं तापमान नियंत्रित रहता है और मछलियों की वृद्धि में अनुकूल वातावरण मिलता है। बायोफ्लॉक तालाब निर्माण पर कुल 14 लाख रुपए की लागत आई, जिसमें से उन्हें 60 प्रतिशत अर्थात 8 लाख 40 हजार रुपए की सब्सिडी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत प्राप्त हुई। पहले जहां खेती से सीमित आमदनी होती थी, वहीं अब मछली पालन से वे हर वर्ष लगभग दो लाख रुपए की आमदनी कर रहे हैं।

मत्स्य पालन स्व-रोजगार के साथ नुकसान की भरपाई बीमा से
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना- मत्स्य पालन क्षेत्र में नीली क्रांति लाने के लिए शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य उत्पादन बढ़ाना, निर्यात को दोगुना करना और रोजगार पैदा करना है। यह योजना मछुआरों और मछली पालकों को बुनियादी ढांचे, उपकरणों और वित्तीय सहायता के माध्यम से मदद करती है, जिसमें आकस्मिक मृत्यु, विकलांगता या अस्पताल में भर्ती होने पर बीमा कवरेज भी शामिल है। मछली पालन को एक व्यवसाय के रूप में शुरू करने के लिए ऋण पर सब्सिडी प्रदान करना है। शासन की यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों, युवाओं और स्व-सहायता समूहों के लिए नई संभावनाएँ खोल रही है। बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कर अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में किसान सार्थक योगदान दे रहे हैं।

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