
पुलिस कस्टडी में मौत के 8 दिन बाद भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार, परिजन कर रहे दोबारा पोस्टमार्टम व 1 करोड़ मुआवजे की मांग
अंबिकापुर। पुलिस कस्टडी में हुई एक मौत के बाद विवाद लगातार गहराता जा रहा। बलरामपुर जिले के उमेश सिंह, जिन्हें पुलिस ने ज्वेलरी दुकान में चोरी के मामले में गिरफ्तार किया था, उनकी पुलिस कस्टडी में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं और लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है।
उमेश सिंह का शव पिछले 8 दिनों से सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के मरच्यूरी में रखा हुआ है, क्योंकि परिजन इसे लेने से इंकार कर रहे थे। उनका आरोप है कि उमेश की मौत प्राकृतिक नहीं, बल्कि पुलिस की मारपीट का नतीजा है। परिजनों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक दूसरा पोस्टमार्टम नहीं कराया जाएगा और 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आश्वासन नहीं मिलेगा, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
परिवार के सदस्यों ने पुलिस प्रशासन और मामले की जांच टीम पर अविश्वास जताते हुए कहा कि उन्हें उमेश के शरीर पर चोटों के निशान मिले हैं, जो किसी बीमारी की वजह से नहीं हो सकते। परिजनों के समर्थन में स्थानीय ग्रामीण और सामाजिक संगठन भी उतर आए हैं। इसी मांग को लेकर परिजन और ग्रामीण आईजी दफ्तर का घेराव भी कर चुके हैं, जहां उन्होंने न्याय की मांग दोहराई और आरोप लगाया कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
उधर पुलिस ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उमेश सिंह चोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया था और पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। स्वास्थ्य परीक्षण में यह बात सामने आई कि वह सिकल सेल बीमारी से पीड़ित था, और इसी कारण उसकी निधन हो गया। पुलिस का दावा है कि मौत का किसी भी प्रकार का अत्याचार या पिटाई से कोई संबंध नहीं है।
हालांकि परिजन इस तर्क को मानने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि यदि उमेश सिकल सेल रोगी था, तो पुलिस ने उसकी चिकित्सा रिपोर्ट या इलाज के कागजात क्यों नहीं दिखाए? साथ ही, परिवार का आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद उन्हें उमेश से मिलने तक नहीं दिया गया और मौत के बाद भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
लगातार बढ़ते दबाव के बीच, आज परिजन शव लेने और अंतिम संस्कार करने को तैयार हुए हैं, लेकिन उनकी मांगें—दोबारा पोस्टमार्टम, 1 करोड़ मुआवजा और निष्पक्ष जांच—अभी भी कायम हैं। वहीं मामले ने राजनीतिक रंग भी पकड़ना शुरू कर दिया है, और स्थानीय नेताओं ने भी निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है।



