
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 1 जनवरी 2026 से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो जाएगी। राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय की तैयारियां लगभग पूरी हैं। इस प्रणाली के लिए मध्यप्रदेश के भोपाल-इंदौर मॉडल को सबसे उपयुक्त माना गया है, क्योंकि छत्तीसगढ़ और एमपी के नियम-कानून काफी हद तक समान हैं।
सरकार ने इस प्रणाली को लागू करने के लिए ओडिशा, महाराष्ट्र, हैदराबाद, राजस्थान, कोलकाता और दिल्ली की पुलिस कमिश्नरी का अध्ययन किया, लेकिन रायपुर पुलिस की संरचना और जरूरतों को देखते हुए भोपाल-इंदौर पैटर्न सबसे व्यावहारिक और प्रभावी पाया गया। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का 18वां राज्य होगा। फिलहाल यह व्यवस्था केवल रायपुर शहर में लागू होगी। इसके सफल क्रियान्वयन के बाद इसे दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों में भी लागू करने की योजना है।
रायपुर पुलिस कमिश्नर के पद पर एडीजी या आईजी रैंक के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की तैनाती की संभावना है। शहर के पहले कमिश्नर को लेकर कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम चर्चा में हैं। हालांकि, पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के साथ ही पुलिस बल की कमी बड़ी चुनौती है। वर्तमान में रायपुर में लगभग 25 लाख की आबादी पर सिर्फ 2,980 पुलिस जवान तैनात हैं। 25 साल पहले, जब आबादी केवल 8 लाख थी, तब यहां 3,825 जवान थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लंबे समय से भर्ती नहीं होने के कारण यह स्थिति बनी|
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कई अधिकार सीधे पुलिस कमिश्नर के पास होंगे, जिससे कानून-व्यवस्था में तेजी आएगी। प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं :
- शांति व्यवस्था भंग होने पर कर्फ्यू लगाने का अधिकार
- धरना-प्रदर्शन की अनुमति अब पुलिस कमिश्नर देंगे
- प्रतिबंधात्मक धारा 144 लागू करने का अधिकार
- अपराधियों को जिलाबदर करने की शक्ति
- शस्त्र अधिनियम के तहत लाइसेंस जारी और निरस्त करने का अधिकार
- सिनेमाघर, पब-बार और रेस्टोरेंट पर कार्रवाई का अधिकार
- गुंडा एक्ट या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने का निर्णय
- दंगे या जमीन विवादों में बल प्रयोग और अहम निर्णय
सरकार और पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इस नई प्रणाली से कानून-व्यवस्था ज्यादा मजबूत, जवाबदेह और अपराध नियंत्रण में प्रभावी साबित होगी।



