
रायपुर , छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने 26 दिसंबर 2025 को PMLA, 2002 के तहत छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में एक और सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दाखिल की है। अब इसे लेकर आधिकारिक बयान सामने आया है। ईडी ने इस घोटाले को 2883 करोड़ का बताया है। ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और चैतन्य बघेल को घोटाले का पॉलीटिकल एग्जीक्यूटिव बताया है। ED ने मुख्यमंत्री दफ्तर में पदस्थ रही सौम्या चौरसिया को पूरे घोटाले का कॉर्डिनेटर बताया है।
382.82 करोड़ की संपत्तियों को किया गया अटैच
शराब घोटाले में 382.82 करोड़ की चल चल और अचल संपत्तियों को अटैच किया गया है। रायपुर के होटल वेलिंगटन कोर्ट समेत ढेबर और बघेल परिवार की 1000 से ज्यादा प्रॉपर्टी को ईडी ने अटैच किया है। ED की जांच में सामने आया है कि एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ की शराब नीति को निजी फायदे के लिए पूरी तरह हाईजैक कर लिया। अवैध कमाई चार अलग-अलग तरीकों से की गई। नीति में हेरफेर, बिना हिसाब की बिक्री, कार्टेल कमीशन और नए लाइसेंस सिस्टम के जरिए उगाही हुई। इस पूरे सिस्टम में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाकर निजी जेबें भरी गईं।
इन लोगों को बनाया गया आरोपी
ईडी ने कहा है कि, इस सिंडिकेट का नेतृत्व अनवर ढेबर और उनके सहयोगी अरविंद सिंह ने किया था। डिस्टिलरीज को भी आरोपी बनाया गया है इसमें मैसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, मैसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स, और मैसर्स वेलकम डिस्टिलरीज हैं। कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया ने कैश कलेक्शन और विधु गुप्ता ने डुप्लिकेट होलोग्राम सप्लाई का काम किया है।
ED द्वारा दायर चार्जशीट में कहा गया है कि शराब घोटाला में कुल आरोपी 81 हैं। अनिल टुटेजा (सेवानिवृत्त I.A.S.), तत्कालीन संयुक्त सचिव, और निरंजन दास (I.A.S.), तत्कालीन आबकारी आयुक्त, नीति में हेरफेर करने का काम करते रहे। CSMCL के प्रबंध निदेशक अरुण पति त्रिपाठी (I.T.S.) को अवैध वसूली को अधिकतम करने कहा गया। जनार्दन कौरव और इकबाल अहमद खान सहित 30 क्षेत्रीय स्तर के आबकारी अधिकारियों को “निश्चित प्रति-केस कमीशन” के बदले बेहिसाब शराब की बिक्री की सुविधा देने के लिए आरोपी बनाया गया है।



