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रायपुर–महासमुंद में 10 ठिकानों पर छापा, 40 लाख कैश जब्त, 700 करोड़ के मुआवजा घोटाले में अफसरों–नेताओं की भूमिका पर सवाल

रायपुर, प्रवर्तन निदेशालय (ED) रायपुर ज़ोनल ऑफिस ने भारतमाला प्रोजेक्ट से जुड़े एक बड़े मुआवजा घोटाले पर बड़ी कार्रवाई की है। 29 दिसंबर 2025 को PMLA, 2002 के तहत रायपुर और महासमुंद में हरमीत सिंह खनूजा और अन्य आरोपियों के घर व दफ्तर समेत कुल 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई।

40 लाख नकद और अहम सबूत जब्त

तलाशी के दौरान ईडी को 40 लाख रुपये नकद, कई डिजिटल डिवाइस और बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज मिले, जिन्हें ज़ब्त कर लिया गया है। यह कार्रवाई भारतमाला स्कीम के तहत रायपुर–विशाखापत्तनम हाईवे प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में दिए गए गैरकानूनी मुआवजे से जुड़ी जांच के तहत की गई।

वरिष्ठ अफसरों की भूमिका पर सवाल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घोटाले में रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार, भारतीदासन, सर्वेश्वर भुरे और महासमुंद के तत्कालीन कलेक्टर जय प्रकाश मौर्या की भूमिका संदेह के घेरे में है। आरोप है कि जय प्रकाश मौर्या ने अपने ही परिवार को करोड़ों रुपये का मुआवजा दिलवाया, बावजूद इसके अब तक इन अफसरों से पूछताछ नहीं हुई है।

700 करोड़ तक घोटाले की आशंका

मामले में अब तक 43 करोड़ रुपये की अनियमितता पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, जबकि शिकायतों के आधार पर घोटाले की राशि करीब 700 करोड़ रुपये तक आंकी जा रही है। कुछ कांग्रेस नेताओं और एक पूर्व मंत्री के नाम भी जांच के दायरे में बताए जा रहे हैं।

जमीन के टुकड़े कर किया गया खेल

आरोप है कि नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ज़मीन के छोटे-छोटे टुकड़े कर मुआवजा बढ़ाने का खेल किया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

ईडी की इस कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। आने वाले दिनों में इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।

 

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